सुभाष चंद्रा कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक बने रहेंगे.
नोटबंदी के समय कहा गया था कि इसके दूरगामी परिणाम होंगे. तीन साल हो गए, आगामी कितने साल में आएगी दूरगामी?
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सरकार को 72 पेज का एक नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने दो हज़ार रुपये के नोट को प्रचलन से बाहर करने, सरकारी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण ख़त्म करने और निजीकरण को बढ़ावा देने समेत कई सुझाव दिए हैं.
आरबीआई के गवर्नर रहे रघुराम राजन ने भारत में जीडीपी की गणना के तरीके पर नए सिरे से गौर करने का भी सुझाव दिया है.
अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में एक लेक्चर के दौरान पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बिना सोच-विचार के नोटबंदी लाने और बुरी तरह से जीएसटी लागू करने की वजह से भारत इस समय आर्थिक सुस्ती की दौर से गुजर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने एक हालिया साक्षात्कार में कहा कि 2जी घोटाले, कोल ब्लॉक आवंटन और वोडाफोन मामले में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने विदेशी निवेशकों को डरा दिया है.
रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2000 रुपये और 500 रुपये के नकली नोटों में क्रमश: 21.9 फीसदी और 221 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं 200 रुपये के नकली नोटों में 161 गुना की वृद्धि हुई.
नोटबंदी से पहले 4 नवंबर, 2016 तक 17.74 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा चलन में थी. इस तरह नोटबंदी से पहले की तुलना में नकद राशि यानि चलन में मुद्रा में करीब 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
जब लोग बिस्किट का एक पैकेट खरीदने से पहले भी सोचने लगें, तब एक गहरे आर्थिक संकट की दस्तक सुनना ज़रूरी हो जाता है.
अगर केंद्र की मोदी सरकार को विदेशों से डॉलर में क़र्ज़ लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है तो इसके पीछे पिछले पांच वर्षों के दौरान पनपने वाले आर्थिक संकट का हाथ है.
जो लोग इस बजट से भाजपा के चुनावी वादों को पूरा करने के किसी रोडमैप की उम्मीद कर रहे थे, उन्हें इस बजट में एक भी बड़ा विचार या कोई बड़ी पहल दिखाई नहीं दी. रोजगार सृजन और कृषि को फायदेमंद बनाने जैसे मसले पर चुप्पी हैरत में डालने वाली है.
राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा दिए गए लिखित जवाब के मुताबिक नोटबंदी से पहले चार नवंबर, 2016 तक 17.97 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा प्रचलन में थी, लेकिन अब ये राशि बढ़कर 21.71 लाख करोड़ रुपये हो गई है.
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने इससे पहले भी सावरकर की जीवनी में बदलाव किया था और उन्हें वीर की जगह अंग्रेजों से माफी मांगने वाला बताया गया था.
देश की कमज़ोर अर्थव्यवस्था के बीच प्रचंड जनादेश हासिल करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष कई बड़ी आर्थिक चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: नरेंद्र मोदी ने बनारस में बुनकरों से जुड़े कई वादे किए थे लेकिन पांच साल बाद स्थानीय बुनकर अच्छे दिनों के नारे और वादे के बीच ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.