न्याय

यूपी रासुका दुरुपयोग: उचित प्रकिया के अभाव का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने रद्द किए सभी सांप्रदायिक मामले

यूपी सरकार द्वारा बीते तीन सालों में दर्ज राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के 120 मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है, जिसमें आधे से अधिक गोहत्या और सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े थे. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार कोर्ट ने सांप्रदायिक घटनाओं से जुड़ी सभी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं को सुनते हुए एनएसए के आदेश को रद्द कर दिया.

यूपी: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनएसए के दुरुपयोग का हवाला देते हुए 120 में 94 आदेशों को रद्द किया

पुलिस और अदालत के रिकॉर्ड्स दिखाते हैं कि एनएसए लगाने के मामलों में एक ढर्रे का पालन किया जा रहा था, जिसमें पुलिस द्वारा अलग-अलग एफ़आईआर में महत्वपूर्ण जानकारियां कट-पेस्ट करना, मजिस्ट्रेट द्वारा हस्ताक्षरित डिटेंशन ऑर्डर में विवेक का इस्तेमाल न करना, आरोपी को निर्धारित प्रक्रिया मुहैया कराने से इनकार करना और ज़मानत से रोकने के लिए क़ानून का लगातार ग़लत इस्तेमाल शामिल है.

हमारा संविधान: न्याय की देवी और मौलिक अधिकार

वीडियो: हमारा संविधान की इस कड़ी में अधिवक्ता अवनि बंसल न्याय की देवी के बारे में जानकारी दे रही हैं. उनके हाथ में तलवार, तराजू और आंख पर काली पट्टी बंधी होना क्या दर्शाता है? मौलिक अधिकार क्यों संविधान द्वारा लाई गई सामाजिक क्रांति का प्रतीक हैं और क्यों इनकी बहुत महत्ता है?

हिरासत आदेश खारिज कर हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से कहा, एनएसए का सावधानी से प्रयोग करें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनएसए से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जहां क़ानून ने सत्ता को अत्यधिक शक्ति प्रदान की है कि वे किसी भी व्यक्ति को सामान्य क़ानून के तहत मिले संरक्षण और कोर्ट के ट्रायल के बिना गिरफ़्तार कर सकते हैं, ऐसे क़ानून को इस्तेमाल करते वक़्त बेहद सावधानी बरती जानी चाहिए.

Babri Masjid PTI

बाबरी विध्वंस फ़ैसला: छल और बल का न्याय

समाज से न्याय का बोध लुप्त हो सकता है, उससे भी ख़तरनाक है जब वह इंसाफ़ की परवाह ही न करे. भारत का बहुसंख्यक समाज अभी अपने बाहुबल के नशे में है. न्याय उसके लिए अप्रासंगिक हो चुका है. वह जानता है कि उसके नाम पर जो हो रहा है, वह अन्याय है, लेकिन वह इससे परेशान नहीं बल्कि प्रसन्न है.

Bikaner: Muslim activists protest against the recent incidents of mob lynching, in Bikaner, Friday, June 28, 2019. (PTI Photo) (PTI6_28_2019_000160B)

क्यों जारी है मॉब लिंचिंग का सिलसिला?

अपराध जितना भी जघन्य हो आरोपी को सज़ा देना क़ानून का काम है न कि समाज और भीड़ का. उसमें चाहे जितना समय लगे या गलतियां भी हों, जनता द्वारा क़ानून हाथ में लेने को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता.

प्रख्यात अधिवक्ता और पूर्व क़ानून मंत्री राम जेठमलानी का निधन

राम जेठमलानी को कई विवादित मामलों का केस लड़ने के लिए जाना जाता है. उन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के हत्यारों के पक्ष में केस लड़ा था. इसके अलावा सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले में वह अमित शाह और हवाला मामले में लाल कृष्ण आडवाणी की भी पैरवी कर चुके हैं.

दलित ख़ुद पर अत्याचार रोकने के लिए हिंदू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म अपना लें: अठावले

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ने कहा, बाबासाहब अंबेडकर ने बौद्ध धर्म तब अपनाया जब उन्हें भरोसा हो गया कि दलितों को हिंदू धर्म में न्याय नहीं मिलेगा.

जल्द न्याय पाना मौलिक अधिकार भले न हो, पर मानवाधिकार है: सुप्रीम कोर्ट जज

जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा, याचिकाकर्ता को कुछ मामलों में न्याय पाने के लिए दशकों इंतज़ार करना पड़ता है. यह हमारी न्याय व्यवस्था के लिए अच्छा प्रतीत नहीं होता है.

एक हताश मां का संघर्ष, जिसके बेटे की हत्या का आरोप मणिपुर सीएम के बेटे पर है

साक्षात्कार: छह साल से मणिपुर की एक मां अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए भटक रही है. उनके बेटे की हत्या का आरोप राज्य के मुखिया एन. बीरेन सिंह के बेटे पर है.

कुलभूषण तक कोई राजनयिक पहुंच नहीं दी जाएगी: पाक सेना

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा, ‘कानून के तहत हम जासूसी में शामिल कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच नहीं दे सकते.’

मानवता के लिए ज़रूरी है कि न्याय पर राष्ट्रवाद को हावी न होने दें

‘राष्ट्रवादी पाकिस्तानी वकीलों’ को लगता है कि यही वह अवसर है जब वे अपने देश से अपने वास्तविक प्रेम का इज़हार कर दें और कुलभूषण जाधव का मुक़दमा कोई वकील न लड़ पाए. दक्षिण एशिया में ऐसी न्यायिक देशभक्ति नई नहीं है.