जम्मू कश्मीर प्रशासन के नए आदेश के तहत जिला विकास परिषद यानी डीडीसी के अध्यक्ष का दर्जा सचिव के बराबर कर दिया गया है. भाजपा समेत सभी पार्टियों के डीडीसी सदस्यों ने इस आदेश को वापस लेने की मांग की है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविववार को एक ट्वीट में कहा, 'अगस्त 2019 के बाद यह नया जम्मू कश्मीर है. हमें बिना कारण बताए हमारे घरों में क़ैद कर दिया गया है.' वहीं श्रीनगर पुलिस का कहना है कि पुलवामा हमले की बरसी के चलते वीआईपी और अन्य लोगों की आवाजाही कम की गई है.
जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) की 280 सीटों के लिए आठ चरण में चुनाव कराए गए थे. इस चुनाव में 2,178 उम्मीदवार मैदान में थे. जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्ज़ा ख़त्म किए जाने के बाद इस केंद्र शासित प्रदेश में यह पहला चुनाव था.
डीडीसी चुनाव नतीजे आने के एक दिन पहले जम्मू कश्मीर में अधिकारियों ने बताया कि कम से कम 20 राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लिया है. इनमें महबूबा मुफ़्ती की पार्टी पीडीपी के तीन वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं. मुफ़्ती ने आरोप लगाया कि भाजपा पर चुनाव नतीजों से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही है.
जामिया मिलिया इस्लामिया की ओर से 21 दिसंबर से ऑनलाइन परीक्षा शुरू की जा रही है. छात्र-छात्राओं से इसके लिए लैपटॉप या कंप्यूटर और अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने को कहा गया है. जम्मू कश्मीर में इंटरनेट स्पीड को लेकर उन्होंने चिंता ज़ाहिर की थी.
पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लरेशन की ओर से कहा गया है कि प्रचार से रोककर उनके उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया रहा है. अलायंस में शामिल पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने आरोप लगाया कि डीडीसी चुनावों में ग़ैर-भाजपा दलों की भागीदारी को भारत सरकार ने नुकसान पहुंचा रही है. माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ़ तारिगामी ने भी प्रचार न करने देने की बात कही है.
बीते 22 अगस्त को जम्मू कश्मीर छह क्षेत्रीय पार्टियों ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फ़ैसले को असंवैधानिक क़रार देते हुए इसकी बहाली के लिए मिलकर संघर्ष करने के लिए गठबंधन का ऐलान किया था और एक घोषणा-पत्र जारी किया था.
तिरंगा न थामने से संबंधित अपने एक बयान को लेकर विवाद होने के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि जब वह पहली बार विधायक बनी थीं, तब उन्होंने जम्मू कश्मीर के संविधान में अपने विश्वास की पुष्टि की थी, साथ ही भारत की संप्रभुता और अखंडता का भी समर्थन किया था. दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.
पूर्व राज्यसभा सदस्य टीएस बाजवा सहित पीडीपी के तीन संस्थापक सदस्यों ने यह कहते हुए पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया कि वे पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती की अवांछित टिप्पणियों से असहज महसूस कर रहे थे.
जम्मू कश्मीर के छह दल अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फ़ैसले को असंवैधानिक क़रार देते हुए इसकी बहाली के लिए एकजुट हुए हैं. गठबंधन ने जम्मू कश्मीर राज्य के झंडे को अपने निशान के रूप में अपनाते हुए बीते एक साल के शासन पर श्वेतपत्र जारी करने की बात कही है.
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जल्द ही ईडी के समनों का जवाब देगी. उमर ने यह भी कहा कि यह ‘गुपकर घोषणा’ के तहत ‘पीपुल्स अलायंस’ के गठन के बाद की जा रही प्रतिशोध की राजनीति है.
जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से कहा गया है कि ज़िला विकास परिषद के ज़रिये स्थानीय सरकार और मज़बूत होगी. हालांकि कश्मीर के राजनीतिक दलों का कहना है कि इसका उद्देश्य राजनीति ख़त्म करना है.
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि एक आदेश जारी कर पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य की विधानसभा द्वारा लागू किए गए कुछ क़ानूनों में नामों और कुछ शब्दों में बदलाव किया गया है.
केंद्र सरकार द्वारा जारी नए नियमों के ज़रिये केंद्रशासित जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र से कई विभाग वापस ले लिए गए हैं और इसके चलते महत्वपूर्ण मामलों में उप-राज्यपाल के ज़रिये केंद्र अप्रत्यक्ष रूप से अंतिम निर्णायक विभाग होगा.
जम्मू कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि वे संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली, जम्मू कश्मीर के संविधान और राज्य की बहाली के लिए प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और राज्य का कोई भी विभाजन उनके लिए अस्वीकार्य है.