दिल्ली हाईकोर्ट ने वेब पोर्टल कोबरापोस्ट के उस खुलासे पर रोक लगा दी है, जिसमें वह पेड न्यूज़ से जुड़ी अपनी खोजी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने वाला था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा नेता और मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराए जाने के चुनाव आयोग के फ़ैसले को रद्द कर दिया है.
केंद्र के 13 मंत्री जिस वेबसाइट का लिंक ट्वीट करते हैं, आह्वान करते हैं कि फ़ेक न्यूज़ के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं, उस वेबसाइट को कौन चलाता है, कहां से चलती है, इसका पता दो दिनों तक मीडिया में चर्चा होने के बाद भी नहीं चलता है.
ख़ुफ़िया कैमरे की मदद से किए गए कोबरापोस्ट के ‘ऑपरेशन 136’ में देश के कई नामचीन मीडिया संस्थान सत्ताधारी दल के लिए चुनावी हवा तैयार करने को राज़ी होते नज़र आ रहे हैं.
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पेड न्यूज़ प्रकाशित करवाने का आरोप था.
पत्रकारों के लिए जस्टिस मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफ़ारिश और सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से बातचीत.
वेबसाइट की सफलता के लिए जितना झूठ परोसेंगे, उतना हिट मिलेगा. जितना हिट मिलेगा, उतना विज्ञापन मिलेगा. झूठ का कारोबार आज सच के लिए चुनौती बन गया है.
हम अक्सर किसी टिप्पणी या दलील को महज़ इसलिए स्वीकार कर लेते हैं, क्योंकि वे हमारी परंपरागत मान्यताओं के अनुरूप होती हैं. ऐसा करते वक़्त हम न तो इनके पीछे के तर्कों की परवाह करते हैं, न दावों की प्रामाणिकता जांचने की ज़हमत उठाते हैं.
राज्यसभा में चुनाव सुधार पर केंद्रित लंबी चर्चा के दौरान विपक्षी नेताओं ने भारत में मीडिया की अंदरूनी संरचना और उसकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए.
राज्यसभा सांसद शरद यादव ने यह भाषण 22 मार्च 2017 को राज्यसभा में दिया. सदन में चर्चा के दौरान अपनी बात रखते हुए शरद यादव ने देश में पत्रकारिता की दशा और दिशा पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. पढ़ें पूरा भाषण...
यह तो साफ है कि दैनिक जागरण द्वारा उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले चरण के ठीक बाद उस एग्ज़िट पोल का प्रकाशन भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए बनाई गयी एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था, पर इस ‘चुनावी पटकथा’ का लेखक कौन था, इस पर अब तक रहस्य बना हुआ है.
उत्तर प्रदेश की बारी आते-आते पांच राज्यों में चुनाव की मीडिया कवरेज कई कारणों से बेहद विवादास्पद और यादगार होती गई. यह पहला मौका है जब एक फर्जी ‘एक्ज़िट-पोल’ के गैर-क़ानूनी प्रकाशन के चलते देश के एक बड़े मीडिया घराने से संबद्ध संपादक को गिरफ्तार किया गया.
‘जन की बात’ के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ राजनीति में अपराधीकरण और पेड न्यूज़ पर चर्चा कर रहे हैं.
यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती को पश्चिमी यूपी में जो समर्थन मिल रहा है, क्या दैनिक जागरण एक्जिट पोल प्रकाशित करके उसे बेअसर करने की कोशिश कर रहा है?
चुनाव आयोग एक्जिट पोल छापने के मामले में हुआ सख्त, सभी 15 जिलों में दर्ज होगी प्राथमिकी