उत्तर प्रदेश: कुशीनगर में घर से खींचकर परिजन के सामने नाबालिग से सामूहिक बलात्कार

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के अहिरौली बाज़ार थाना क्षेत्र स्थित एक गांव में हुई घटना में नाली बनाने को लेकर आरोपियों का नाबालिग के परिवार के साथ झगड़ा हुआ था. प्रदेश के हमीरपुर और मेरठ में नाबालिग लड़कियों की बलात्कार के बाद हत्या. कानपुर में भी नाबालिग से बलात्कार का मामला सामने आया है.

भोपाल: आठ साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या का आरोपी गिरफ़्तार, छह पुलिसकर्मी निलंबित

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कमला नगर थाना इलाके में आठ जून की रात आठ वर्षीय बच्ची से बलात्कार और उसकी हत्या करने के बाद आरोपी ने बच्ची का शव उसी के घर के पास नाले में फेंक दिया था. जबलपुर में भी चार साल की बच्ची से अप्राकृतिक बलात्कार का मामला सामने आया.

मध्य प्रदेशः बलात्कार के बाद पांच साल की बच्ची की हत्या, एक गिरफ़्तार

मामला उज्जैन का है, जहां भूकी माता मंदिर इलाके से झुग्गी में परिजनों के साथ सो रही एक बच्ची का कथित तौर पर अपहण कर बलात्कार किया गया. इसके बाद बच्ची की हत्या कर शव नदी में फेंक दिया गया.

ऐसी कोई जगह नहीं, जहां बच्चों का लैंगिक शोषण न होता हो

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अध्ययन ‘चाइल्ड एब्यूज़ इन इंडिया’ के मुताबिक भारत में 53.22 प्रतिशत बच्चों के साथ एक या एक से ज़्यादा तरह का यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न हुआ है. ऐसे में कौन कह सकता है कि मेरे घर में बच्चों का लैंगिक शोषण नहीं हुआ?

12 साल से छोटी बच्चियों से बलात्कार पर फांसी तक की सज़ा दिलाने वाला विधेयक मंजूर

12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के लिए दंड को सात वर्ष के न्यूनतम कारावास से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रावधान किया गया है. 16 वर्ष से कम की लड़की से बलात्कार में सज़ा 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा.

जघन्य अपराधों के हर मामले में किशोर मुजरिमों को सज़ा-ए-मौत उचित नहीं: जस्टिस लोकुर

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस मदन बी. लोकुर ने बच्चों और किशोरों से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालतों को संवेदनशील बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा हम इस देश में यूं बर्बर नहीं हो सकते.

वर्ष 2016 में 55,000 बच्चे अगवा हुए, बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध में वृद्धि: गृह मंत्रालय

गृह मंत्रालय के मुताबिक, वर्ष 2016 में अगवा बच्चों के 40.4 फीसदी मामलों में ही आरोप पत्र दाखिल हुआ. वहीं, 2016 में देश में बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध के 1,06,958 मामले दर्ज हुए, 2015 में इनकी संख्या 94,172 थी.

बच्चे यौन हिंसा नहीं बल्कि यौनिक युद्ध का सामना कर रहे हैं, वे न घर में सुरक्षित हैं और न बाहर

विकास के दावों के बीच भारत के अनुभव और ज़मीनी सच्चाई बता रही है कि समाज और सरकारें बच्चों का संरक्षण सुनिश्चित कर पाने में तो नाकाम हैं ही आगे भी इनके नाकाम रहने की आशंका है.

रेयान मामला: बच्चे के पिता ने दावा किया मंत्री ने कहा था सीबीआई जांच की मांग मत करो

पिता ने किशोर न्याय बोर्ड से अनुरोध किया कि जांच के दौरान आरोपी छात्र के ख़िलाफ़ एक वयस्क की तरह केस चलाया जाए.