नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद भाजपा ने गोरखपुर से रवि किशन को टिकट क्यों दिया?

विशेष रिपोर्ट: गोरखपुर में भाजपा आत्मविश्वास की कमी से जूझ रही है. प्रत्याशी चयन में एक महीना लगना और इस दौरान दर्जन भर नेताओं का नाम आना व ख़ारिज होना इसका उदाहरण है. आखिर में ऐसे प्रत्याशी को ‘आयात’ करना पड़ा, जिसे लेकर पार्टी और समर्थकों में उत्साह नहीं दिख रहा है.

उत्तर प्रदेश में बसपा द्वारा बांटे गए टिकट जातीय समीकरण साधने की ओर इशारा करते हैं

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों व क्षत्रियों को टिकट देने से पहरेज करने वाली बसपा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिल खोलकर ब्राह्मणों को टिकट दिया है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि जातीय समीकरणों को देखते हुए पार्टी प्रमुख मायावती ने ख़ुद ऐसा करने का निर्देश दिया था.

‘अली-बजरंगबली’ वाली टिप्पणी पर चुनाव आयोग का योगी आदित्यनाथ को नोटिस

चुनाव आयोग ने बसपा प्रमुख मायावती को भी देवबंद में एक रैली के दौरान मुस्लिम मतदाताओं को कांग्रेस के बजाय सपा-बसपा और रालोद गठबंधन को वोट देने की अपील की शिकायत पर नोटिस जारी किया है.

भाजपा को भरोसा है कि नौजवान अपनी बेरोज़गारी सीने से चिपकाए उसे नाचते-गाते वोट दे आएंगे

घोषणा-पत्र में सरकारी नौकरियों को एक शब्द के लायक न समझकर भाजपा ने साबित कर दिया है कि उसके लिए नौजवान और रोज़गार दोनों का मतलब बदल गया है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों का गणित, जहां पहले चरण में होना है मतदान

ग्राउंड रिपोर्ट: 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, कैराना, मुज़फ़्फ़रनगर, मेरठ, बागपत, ग़ाज़ियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बिजनौर सीटों पर भाजपा जीती थी. हालांकि, कैराना में हुए उपचुनाव में गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने रालोद से जीत हासिल की थी. धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया की रिपोर्ट.

क्या योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट से ‘योग्य उम्मीदवार’ नहीं ढूंढ पा रही है भाजपा?

विशेष रिपोर्ट: पिछले उपचुनाव में गोरखपुर से मिली हार के चलते पूरे देश में भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली सीट अब पार्टी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए सबसे अधिक चिंता की सीट बन गई है.

लोकसभा उपचुनाव में गोरखपुर सीट पर भाजपा को हराने वाले सांसद प्रवीण निषाद भाजपा में शामिल

एक समाचार चैनल ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में दावा किया है कि गोरखपुर से सांसद प्रवीण निषाद ने लोकसभा चुनाव में काला धन ख़र्च करने की बात स्वीकार की और इस चुनाव में भी काले धन के इस्तेमाल से उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं था.

निषाद पार्टी का सपा से गठबंधन क्यों टूटा

सबसे बड़ा सवाल यह है कि निषाद पार्टी से सपा का गठबंधन टूटने से पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा? भाजपा से निषाद पार्टी का गठजोड़ न तो निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को पसंद आ रहा है और न भाजपाइयों को.

कैराना सीट: भाजपा उम्मीदवार को अपनी ही पार्टी की वजह से हार का ख़तरा है

कैराना उत्तर प्रदेश की उन तीन सीटों में शामिल है, जहां 2018 के उपचुनाव में भाजपा हार गई थी. भाजपा ने इस सीट से इस बार गुर्जर नेता हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह का टिकट काटकर प्रदीप चौधरी को टिकट दिया है. वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग बता रहे हैं प्रदीप चौधरी को उनकी ही पार्टी से ख़तरा है.

निषाद पार्टी ने सपा-बसपा-रालोद गठबंधन का साथ छोड़ा, पार्टी प्रमुख योगी आदित्यनाथ से मिले

समाजवादी पार्टी ने गोरखपुर से राम भुवाल निषाद को बनाया अपना प्रत्याशी. निषाद पार्टी के मीडिया प्रमुख के मुताबिक, समाजवादी पार्टी से उत्तर प्रदेश की महराजगंज लोकसभा सीट को लेकर मतभेद था.

मुज़फ़्फ़रनगर दंगा: चुनावों की भेंट चढ़ती नैतिकता

मुज़फ़्फ़रनगर दंगों पर राजनीतिक रोटियां सबने सेंक लीं पर दंगा पीड़ितों को न्याय नहीं मिला. जो लोग तब सरकार चला रहे थे वे कहते हैं कि दंगे नहीं रोक सकते थे. तो अब सवाल यह है कि इस बार उन्हें क्यों चुना जाए?

कांग्रेस में शामिल हुईं अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर

लोकसभा चुनाव राउंडअप: चुनाव आयोग ने बुधवार को ऑडियो विजुअल विज्ञापन ‘मैं भी चौकीदार हूं’ का वीडियो बिना अनुमति के सोशल मीडिया पर साझा करने को लेकर भाजपा निर्वाचन समिति के एक सदस्य के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया.

पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए क्या संभावनाएं हैं?

पूर्वी उत्तर प्रदेश में अस्मिता की राजनीति सबसे अधिक तीखी है. पटेल, कुर्मी, राजभर, चौहान, निषाद, कुर्मी-कुशवाहा आदि जातियों की अपनी पार्टियां बन चुकी हैं और उनकी अपनी जातियों पर पकड़ बेहद मज़बूत है. कांग्रेस को इन सबके बीच अपने लिए कम से कम 20 फीसदी से अधिक वोटों को जुगाड़ करना होगा तभी वह यूपी में सम्मानजनक स्थान पा सकती है.

विपक्ष को मोदी के उग्र एजेंडा के जाल से बचना होगा

भाजपा ने आम चुनाव में राष्ट्रवाद और पाकिस्तान से ख़तरे को मुद्दा बनाने का मंच सजा दिया है. वो चाहती है कि विपक्ष उनके उग्रता के जाल में फंसे, क्योंकि विपक्षी दल उसकी उग्रता को मात नहीं दे सकते. विपक्ष को यह समझना होगा कि जनता में रोजगार, कृषि संकट, दलित-आदिवासी और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार जैसे मुद्दों को लेकर काफी बेचैनी है और वे इनका हल चाहते हैं.

बसपा किसी भी राज्य में कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी: मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि बसपा और सपा का गठबंधन आपसी सम्मान व पूरी नेक नीयत के साथ काम कर रहा है और भाजपा को परास्त करने की क्षमता रखता है.

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