यह याद रखना चाहिए सरकार का विरोध करना अपराध नहीं है

आज के नव उग्र-राष्ट्रवादी समय में यह याद करना फ़ायदेमंद होगा कि परिपक्व राष्ट्र युद्ध के समय भी साधारण व्यक्तियों या सुपरस्टारों को भी आधिकारिक ‘लकीर’ से अलग चलने की आज़ादी देता है.

जब पूर्वोत्तर और कश्मीर में मीडिया पर हमला होता है, तब प्रेस की आज़ादी की चर्चा क्यों नहीं होती?

दशकों से उत्तर-पूर्व और कश्मीर के मीडिया संस्थान अपनी आज़ादी की लड़ाई राष्ट्रीय मीडिया के समर्थन के बगैर लड़ रहे हैं.

जो हम पर ईमान ना लाए चुनवा दो दीवारों में…

'गाय, ट्रिपल तलाक, सेना, कश्मीर और पाकिस्तान को ज़ेरे-बहस लाकर सरकार अपनी नाकामी को छिपाने की कोशिश कर रही है. सरकार के सभी वादे झूठे साबित हुए हैं. आपको अच्छे दिन के बजाय बुरे दिन दे दिए गए हैं.'

दो फैसले, जिन्होंने बताया कि संविधान संसद से ऊपर है

न्यायपालिका को कमज़ोर करने की कोशिशें भारतीय लोकतंत्र के मूल चरित्र के लिए ख़तरा हैं. मगर अफ़सोस की बात है कि इसे बहुमत का समर्थन हासिल है.

फिल्मकारों के प्रति सरकार का रवैया विनाशकारी है: अदूर गोपालकृष्णन

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता ने कहा, मैंने उन सरकारी अधिकारियों के चेहरे पर आनंद देखा है जो जानते हैं कि वे हमारे रचनात्मक कार्यों को बर्बाद कर रहे हैं.

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