केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने 50 करोड़ रुपये और उससे अधिक का ऋण लेने और जानबूझकर उसे नहीं चुकाने वालों के नाम के संबंध में सूचना नहीं उपलब्ध कराने को लेकर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को कारण बताओ नोटिस भेजा है.
केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा सरकार स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करती है, पेंशन देती है, लेकिन भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के परिवार को वित्तीय सहायता देना तो दूर, उन्हें शहीद का दर्जा भी नहीं दिया जाता.
सीआईसी ने ये भी आदेश दिया है कि पीएमओ इस जानकारी का खुलासा करे कि मोदी सरकार में विदेश से कितना कालाधन लाया गया और इसका कितना हिस्सा भारतीय नागरिकों के बैंक खातों में डाला गया.
विशेष रिपोर्ट: विदेश मंत्रालय ने द वायर की ओर से दायर आरटीआई के जवाब में कहा कि मांगी गई जानकारी बेहद संवेदनशील है. इससे भारत की संप्रभुता और अखंडता के साथ देश की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक और आर्थिक हितों पर प्रभाव पड़ेगा.
भारत से नौ साल बाद साल 2014 में आरटीआई लागू करने वाला अफगानिस्तान सूची में पहले स्थान पर है. अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था एक्सेस इन्फो यूरोप और सेंटर फॉर लॉ एंड डेमोक्रेसी ने जारी की है रिपोर्ट.
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग के 156 पदों में से करीब 48 पद खाली हैं. वहीं 2005 से 2016 के बीच 2.5 करोड़ से अधिक आरटीआई आवेदन दायर.
केंद्रीय सूचना आयोग ने आरटीआई प्रावधान के अंतर्गत सूचना के आवेदन प्राप्त करने के लिए बीसीसीआई को 15 दिन के अंदर आॅनलाइन और आॅफलाइन तंत्र तैयार करने के निर्देश दिए. बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि सीआईसी के फैसले का अध्ययन करने के बाद उचित क़ानूनी रास्ता अपनाया जाएगा.
केंद्रीय सूचना आयोग ने इसी साल 15 जून को आदेश दिया था कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर के ज़िलाधिकारी और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय सांसद निधि के तहत ख़र्च की गई राशि की विस्तृत जानकारी दें.
पिछले साल अक्टूबर में कराबी दास नाम के एक शख़्स ने विदेश मंत्रालय से 2015-16 और 2016-17 में प्रधानमंत्री के विदेश दौरों पर हुए ख़र्च और उनके साथ यात्रा करने वालों की जानकारी मांगी थी.
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि छोटा-मोटा क़र्ज़ लेने वाले किसानों को बदनाम किया जाता है जबकि 50 करोड़ रुपये से अधिक क़र्ज़ लेकर उसे सही समय पर न लौटाने वालों को क़ाफी मौके दिए जाते हैं.
याचिकाकर्ता दीपक जुनेजा ने 2014 में आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी थी. जुनेजा का कहना है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गृह मंत्रालय ने जुलाई 2014 से जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी है जबकि वे किसी संवैधानिक या वैधानिक पद पर नहीं हैं.
मोदी सरकार एक चीज़ की मास्टर है. वह समय-समय पर थीम और थ्योरी ठेलते रहती है. कुछ थीम मार्केट में आकर ग़ायब हो जाते हैं और कुछ चलते रहते हैं. जैसे मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया का थीम ग़ायब है.
ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में निर्धारित विधानसभा चुनावों को टाला जा सकता है और उन्हें अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव के साथ कराया जाएगा.
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि अगर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को समय से पहले दिसंबर में कराया जाता है, तो उसी समय चार विधानसभा चुनाव भी साथ में कराने में चुनाव आयोग सक्षम है.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि सरकार राज्य सूचना आयोगों में लंबित अपील या शिकायतों से संबंधित कोई आंकड़ा नहीं रखती है.