सामूहिक हिंसा एक तरह की नहीं होती. दो समूह लड़ पड़ें, तो वह सामूहिक हिंसा है. एक समूह को निशाना बनाकर की जाने वाली हिंसा भी सामूहिक हिंसा ही है. ऐसी हिंसा को भारत में प्रायः दंगा कह देते हैं. दंगा शब्द में कुछ स्वतः स्फूर्तता का भाव आता है, लेकिन यह सच नहीं है.
ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में प्रभावित मौजपुर, अशोक नगर जैसे इलाकों के 55 पीड़ित दुकानदारों ने क्षतिपूर्ति के लिए कुल 3.71 करोड़ रुपये का दावा किया था, लेकिन दिल्ली सरकार ने इसमें से 36.82 लाख रुपये का ही भुगतान किया है. ये दावा की गई कुल राशि का 9.91 फीसदी ही है.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, दंगे को लेकर कुल 755 केस दर्ज किए गए थे, जिसमें से 400 मामलों का निपटारा किया जा चुका है. अब तक 1753 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था, जिसमें 933 मुस्लिम और 820 हिंदू हैं.
विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने सरकार के इस क़दम का स्वागत किया गया है, जबकि भाजपा-राजग ने भगवान अयप्पा के भक्तों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने के लिए मुख्यमंत्री पिनारई विजयन से माफ़ी की मांग की है और कहा कि सबरीमला प्रदर्शन और सीएए विरोधी प्रदर्शन के मामलों को समान रूप से देखा जाना स्वीकार्य नहीं है.
दिल्ली दंगों में एक युवक की हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों को ज़मानत देते हुए कहा कि यह विश्वास करना कठिन है कि सांप्रदायिक दंगे का इस्तेमाल अपने ही समुदाय के व्यक्ति की मौत के लिए किया जा सकता है. यदि वे वास्तव में दंगे में शामिल होते तो दूसरे समुदाय के सदस्यों को बचाने की कोशिश नहीं करते.
पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अगामी तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और एआईएडीएमके गठबंधन की पुष्टि की है. एआईएडीएमके नेता और राज्य के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने एक सभा में अल्पसंख्यकों को संबोधित करते हुए कहा है कि उन्हें एआईएडीएमके-भाजपा गठबंधन से डरने की ज़रूरत नहीं.
बीते जनवरी में दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में जेएनयू छात्राओं- देवांगना कलीता और नताशा नरवाल पर यूएपीए के तहत दर्ज मामले में निचली अदालत ने उनकी ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी थी. इसके ख़िलाफ़ दायर उनकी अपील पर हाईकोर्ट ने पुलिस और सरकार को दस मार्च तक जवाब देने को कहा है.
मोहब्बत की ख़ातिर की जा रही इस लड़ाई में यह ज़रूरी है कि इसे जुझारू तरीके से लड़ा जाए और ख़ूबसूरत तरीके से जीता जाए.
बीते साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंसा के दौरान गोकुलपुरी और दयालपुर इलाकों में आगजनी और तोड़फोड़ के मामलों के तीन आरोपियों को ज़मानत देते हुए स्थानीय अदालत ने कहा कि उनके नाम न प्राथमिकी में है, न ही उनके ख़िलाफ़ कोई विशिष्ट आरोप हैं.
फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान जाफ़राबाद में फलों के गोदाम में लूट और आगजनी के मामले में तीन आरोपियों को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि जांच और चार्जशीट दाखिल करने में असावधानी बरती गई.
चाहे शाहीन बाग़ हो या दिल्ली की विभिन्न सीमाओं की सड़कें, भारतीय नागरिक अपनी अस्मिता और अधिकारों के लिए खड़े हो रहे हैं.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने दिल्ली दंगों के आरोपियों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा के ऑफिस पर छापेमारी की थी. सर्च टीम ने प्राचा के कंप्यूटर और विभिन्न दस्तावेज़ों को ज़ब्त किए थे, जिनमें केस की विस्तृत जानकारी है.
वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा दिल्ली दंगों के आरोपियों की अदालत में पैरवी कर रहे हैं. प्राचा के सहयोगी वकीलों का आरोप है कि पुलिस की यह छापेमारी सभी रिकॉर्ड और दस्तावेज़ नष्ट करने का प्रयास था.
साल हुआ, संसद ने एक झूठ पर मुहर लगाई. एक साल झूठ का, धोखाधड़ी, क्रूरता और हिंसा का. एक साल सच्चाई का, ईमानदारी, सद्भाव और अहिंसा का.
दिल्ली दंगों में आरोपी एक व्यक्ति ने अपने पड़ोसियों द्वारा उनके घर पर हमला करने का आरोप लगाया था. पुलिस ने ऐसा कोई अपराध होने से इनकार करते हुए दावा किया था कि ख़ुद को बचाने के लिए आरोपी ये आरोप लगा रहा है.