राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने धमकी देने का आरोप लगाते हुए पूर्व सरकारी अधिकारी एन. षणमुगम और राजस्थान निवासी संजय कलाल बजरंगी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी.
सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के माध्यम से मध्यस्थता का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन मामले में दिन-प्रतिदिन सुनवाई जारी रहेगी.
शीर्ष अदालत ने रजिस्ट्री से यह भी जानना चाहा कि अगर ऐसा करना संभव हो तो इसके लिए कितना समय चाहिए.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने इससे पहले उन्हें धमकी देने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी. धवन की याचिका पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने दोनों व्यक्तियों को नोटिस जारी किए थे.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पूर्व सरकारी अधिकारी एन षणमुगम और राजस्थान के निवासी संजय कलाल बजरंगी के खिलाफ शुक्रवार को शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी.
रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने आठवें दिन की सुनवाई के दौरान एएसआई की रिपोर्ट के साथ विवादित ढांचा ढहाने के समय की 'पाञ्चजन्य' पत्रिका की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि विवादित स्थल पर मंदिर बना हुआ था.
विवादित भूमि पर मंदिर के अस्तित्व के सवाल पर रामलला के वकील की ओर से 1950 की निरीक्षण रिपोर्ट और ढांचे के भीतर देवताओं की तस्वीरों का एक एलबम भी पीठ को सौंपते हुए कहा गया कि इस तरह के चित्र मस्जिदों में नहीं बल्कि मंदिरों में होते हैं.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर रामलला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने जवाब दिया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि विवादित स्थल पर मंदिर था.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सभी पांच कार्य दिवसों को सुनवाई करने के शीर्ष अदालत के निर्णय पर मुस्लिम पक्षकारों ने आपत्ति दर्ज कराई थी.
वीडियो: क्या है राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का क़ानूनी पक्ष, बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की वकील अवनि बंसल.
उच्चतम न्यायालय में हिंदू संगठनों तर्क दिया कि मामले की सुनवाई के लिए इस वृहद पीठ को नहीं सौंपा जाना चाहिए. मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी.
एक पक्षकार की ओर से पेश अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आग्रह किया कि अपीलों पर अगले लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई, 2019 में सुनवाई कराई जाए.
बाबरी विध्वंस मामले में शिया वक़्फ़ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाख़िल कर कहा है कि बाबरी मस्जिद स्थल उनकी संपत्ति है.