झारखंड में क्यों सड़कों पर ठोकरें खा रहे लाखों मानदेयकर्मी?

झारखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला बाल कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभागों में बड़ी तादाद में तैनात मानदेयकर्मियों को एक दिहाड़ी मज़दूर से भी कम वेतन मिलता है. लिहाज़ा प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है.

हाईकोर्ट के स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार संबंधी आदेश पर रोक के लिए क्यों बेचैन है योगी सरकार?

विशेष रिपोर्ट: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने से जुड़े इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर एकतरफ़ा रोक के लिए उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की कोशिश कर रही है.

दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रम से ग़रीबों का नहीं कॉरपोरेट का भला होगा

यह बजट दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के बारे में न होकर एक ऐसे देश का बजट था, जो स्वास्थ्य पर दुनिया के किसी भी देश की तुलना में कम ख़र्च करता है, जहां सरकार चाहे कोई भी हो, नागरिकों के स्वास्थ्य को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाती.

बजट 2018: वादों और दावों की भूलभुलैया

दो हज़ार करोड़ के फंड के साथ पचास करोड़ लोगों को बीमा देने की करामात भारत में ही हो सकती है. यहां के लोग ठगे जाने में माहिर हैं. दो बजट पहले एक लाख बीमा देने का ऐलान हुआ था, आज तक उसका पता नहीं है.

बिल का भुगतान न होने पर मरीज़ को रोककर रखना ग़ैरक़ानूनी: बॉम्बे हाईकोर्ट

अदालत ने कहा कि अस्पताल बकाया बिल वसूलने के लिए क़ानूनी तरीके अपना सकते हैं. साथ ही सरकार को ऐसे रोगियों को संरक्षण देने की प्रणाली बनानी चाहिए.

आठ सालों में देश में पांच साल की उम्र से पहले ही हुई 1.13 करोड़ बच्चों की मौत

वर्ष 2008 से 15 के बीच हर घंटे औसतन 89 नवजात शिशुओं की मृत्यु होती रही है. 62.40 लाख नवजात शिशुओं की मृत्यु जन्म के 28 दिनों के भीतर हुई.

…और मेरे भाई ने अस्पताल के गेट पर ही दम तोड़ दिया

'मेरे भाई ने अस्पताल के दरवाज़े पर दम तोड़ दिया क्योंकि बिस्तर नहीं था. ये लोकतंत्र नहीं मुर्दातंत्र है, जिसमें लैपटॉप मिलता है, दंगा मिलता है, इंटरनेट मिलता है पर इलाज नहीं मिलता!'