पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतों में रविवार को फिर वृद्धि हुई है. बीते सात सप्ताह में वाहन ईंधन के दामों में हुई यह 27वीं बढ़ोतरी है, जिसके बाद देश में पेट्रोल और डीज़ल के दाम ऐतिहासिक उच्चस्तर पर पहुंच गए हैं.
बीते चार मई के बाद से पेट्रोल तथा डीज़ल के दामों में 23 बार वृद्धि की गई है. इस वजह से पिछले क़रीब छह सप्ताह से कम समय में पेट्रोल 5.72 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल 6.25 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ाई और अन्य विकास कार्यों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को पेट्रोल तथा डीज़ल पर करों से अतिरिक्त पैसे की ज़रूरत है.
चार मई के बाद पेट्रोलियम उत्पादों के दामों में 23 बार वृद्धि हो चुकी है और सात राज्यों में पेट्रोल की क़ीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुकी है. शुक्रवार को कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पेट्रोल एवं डीज़ल के दामों में वृद्धि के विरोध में दिल्ली समेत कई राज्यों में विभिन्न पेट्रोल पंपों के पास सांकेतिक प्रदर्शन किया था.
कोविड महामारी संबंधी याचिकाएं सुनते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि देश में ब्लैक फंगस के कुल मामलों में से 25 प्रतिशत मामले महाराष्ट्र में हैं, फिर भी दवा का आवंटन राज्य में बीमारी के उपचाराधीन मामलों के अनुपात के हिसाब से नहीं है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र को दवा की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध वेंटिलेटर और आईसीयू उपकरणों का ऑडिट कराया जाए ताकि पता चल सके कि कितने वेंटिलेटर और उपकरण इस्तेमाल नहीं हुए और इसकी क्या वजह है. अदालत ने सरकार से कोविड जांच में कथित अनियमितताओं पर भी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.
देश में वाहन ईंधन की कीमतों में बीते चार मई से अब तक 20 बार बढ़ोतरी हो चुकी है. इससे देश के विभिन्न हिस्सों में अब पेट्रोल ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है. चार मई के बाद से पेट्रोल का दाम में 4.69 रुपये और डीजल के दाम 5.28 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है.
बीते साल एयर इंडिया के कुछ पायलटों ने इस्तीफ़े देने के बाद उन्हें स्वीकार किए जाने से पहले ही वापस ले लिया था पर कंपनी ने इसके बावजूद इस्तीफ़े स्वीकार कर लिए. उनका तर्क था कि इस्तीफ़ों को दी गई स्वीकृति पूरी तरह से उचित है क्योंकि कंपनी कई वर्षों से वित्तीय संकट से जूझ रही है.
रूस में निर्मित कोविड-19 टीके स्पुतनिक वी से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रहे दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इस असाधारण समय में नियमावली से गुज़रते हुए मानव जीवन को बचाना कठिन हो जाएगा. इस समय लचीलापन और तत्परता मंत्र होना चाहिए.
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा फटकार के बाद दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रक ने बताया कि भाजपा सांसद गौतम गंभीर को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स क़ानून के तहत दोषी पाया गया है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि कुछ लोगों के पास पैसा है और वे आसानी से दवा खरीद सकते हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि वे जमाखोरी करेंगे. लोगों की मदद करने के और भी तरीके हो सकते थे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि टीकों की कमी से जान गंवाने वालों को आप क्या जवाब देंगे? अदालत ने केंद्र से कहा कि टीकों के निर्माण के लिए बहुत सारी गुंजाइश और बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. इस्तेमाल न की गई इस क्षमता का उपयोग करना होगा. आपके अधिकारियों को इसका एहसास नहीं हो रहा है.
एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू को मई में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में उन्हें मुंबई के जीटी अस्पताल रेफर किया गया था और अब ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है.
देश में पेट्रोल की कीमत 17 बार में 4.09 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल 4.65 रुपये प्रति लीटर बढ़ी है. राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले में कीमतें देश में सबसे ज़्यादा हैं, जहां पेट्रोल 105.52 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल 98.32 रुपये प्रति लीटर है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के 21 मई के आदेश के ख़िलाफ़ वित्त मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह रोक लगाई. दिल्ली हाईकोर्ट के व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए लोगों द्वारा आयातित ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए जा रहे एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) को असंवैधानिक क़रार दिया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा सांसद गौतम गंभीर के पास बड़ी मात्रा में फैबीफ्लू मिलने की जांच करने वाले औषधि नियामक की रिपोर्ट ख़ारिज करते हुए कहा कि इस संस्था से अदालत का भरोसा डगमगा गया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि ख़ुद को मददगार दिखाने के लिए हालात का फायदा उठाने की प्रवृत्ति की कड़ी निंदा होनी चाहिए.
केंद्र ने अगस्त से दिसंबर के बीच 2.2 अरब टीके उपलब्ध करवाने की बात कही है, पर यह नहीं बताया कि इनमें से कितने देश में बनेंगे और कितने आयात होंगे. इस बात में कोई संदेह नहीं है कि टीकों की मौजूदा कमी नवंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच उत्पादकों को वैक्सीन का प्री-ऑर्डर देने में मोदी सरकार की नाकामी का नतीजा है.