जब मंटो जलियांवाला बाग़ में घंटों बैठकर अंग्रेज़ी हुकूमत के तख़्तापलट के सपने देखा करते थे

जलियांवाला बाग़ नरसंहार ने मंटो को बदल दिया था. मंटो तब सात साल के थे, जब बाग़ का ख़ूनी दृश्य देखा और उसको कहीं अपने भीतर महसूस किया. बचपन की ये कैफ़ियत उनके परिपक्व होने तक भी नहीं निकल पाई. इसके बहुत बाद में जब वे अपने साहित्यिक जीवन की पहली कहानी ‘तमाशा’ लिख रहे थे, तब शायद उसी यातना से गुज़र रहे थे.

कांग्रेस के वंदे मातरम के टुकड़े करने के चलते हुआ देश का विभाजन: अमित शाह

कोलकाता में हुए एक कार्यक्रम में बोलते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वंदे मातरम को धार्मिक रंग दिया. उसने अगर ऐसा नहीं किया होता, तो देश नहीं बंटता.

अंग्रेज़ चले गए, अपनी पुलिस यहीं छोड़ गए

1857 की बग़ावत के सदमे से अंग्रेज़ कभी उबर नहीं सके. भारतीयों के दमन और अपने औपनिवेशिक लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से उन्होंने पुलिस एक्ट, 1861 बनाया, जो आज भी वर्तमान पुलिस प्रणाली का आधार बना हुआ है.

भीमा-कोरेगांव युद्ध को याद करने वाले किस आधार पर ‘देशद्रोही’ सिद्ध किए जा रहे हैं?

जो लोग भीमा-कोरेगांव युद्ध की याद में आयोजित समारोह के आयोजकों को राष्ट्रद्रोही सिद्ध कर रहे हैं वो यह क्यों छुपा ले जाते हैं कि न जाने कितनी बार मराठों ने भी अंग्रेज़ों के साथ मिलकर अन्य राज्यों के ख़िलाफ़ लड़ाइयां लड़ी हैं.

भीमा-कोरेगांव युद्ध को सिर्फ़ जाति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए

जब आंबेडकर ने भीमा कोरेगांव युद्ध को पेशवाओं के उत्पीड़न के ख़िलाफ़ महारों के संघर्ष के रूप में पेश किया, तब वे असल में एक मिथक रच रहे थे.

लोक नाटकों के मंचन को राजद्रोह बताने वाला 140 साल पुराना क़ानून होगा रद्द

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पिछले तीन वर्षो के दौरान 1200 पुराने और अप्रचलित क़ानूनों को समाप्त कर चुकी है.

1857 की वीरांगनाएं, जिन्हें भुला दिया गया

1857 के विद्रोह में सिर्फ़ बेग़म हज़रत महल और रानी लक्ष्मीबाई ने ही हिस्सा नहीं लिया था. दर्जनों और औरतों ने सक्रिय तरीक़े से अंग्रेज़ों से लोहा लिया था. मगर उनकी कहानी शायद ही कहीं दर्ज है.