सुप्रीम कोर्ट ने फ़रीदाबाद ज़िले के खोरी गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए क़रीब 10,000 आवासीय निर्माण को हटाने के लिए हरियाणा और फ़रीदाबाद नगर निगम को दिए आदेश दिया है. इस बीच खोरी गांव के एक व्यक्ति की आत्महत्या का माला सामने आया है. परिजनों का कहना है कि मकान टूटने की आशंका से वह मानसिक तनाव में थे.
राज्य के तीन ज़िलों में अतिक्रमित भूमि से कई परिवारों को हाल में हटाए जाने का संदर्भ देते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने अल्पसंख्यक समुदाय से परिवार नियोजन अपनाने की अपील की थी. विपक्षी कांग्रेस, एआईयूडीएफ तथा अल्पसंख्यक छात्र निकाय ने इस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण, तुच्छ व भ्रामक क़रार दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार के अधिकारियों को फ़रीदाबाद ज़िले के लकड़पुर खोरी गांव के निकट वन भूमि से सभी अतिक्रमण छह हफ़्त के भीतर हटाने और मामले की अगली सुनवाई तक अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. पीठ ने कहा कि भूमि हथियाने वाले निष्पक्ष सुनवाई के लिए क़ानून के शासन का सहारा नहीं ले सकते हैं.
आज़मगढ़ शहर के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार दत्ता का कहना है कि नगर पालिका परिषद ने वर्ष 2000 में उन्हें यह ज़मीन किराये पर आवंटित की थी, जहां उन्होंने कार्यालय बनाया था. उनका आरोप है कि कार्यालय ख़ाली करने के तय समय से पहले ही इसे प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया.
दमन के ज़िलाधिकारी द्वारा जारी आदेश के बाद पूरे दमण में धारा 144 लागू कर दी गई है और दो सरकारी स्कूलों को अस्थायी जेलों में तब्दील कर दिया गया है.
एक अध्ययन के अनुसार साल 2018 में हर दिन 554 और हर घंटे 23 लोगों को बेदखली का सामना करना पड़ा. इसके अलावा करीब एक करोड़ 10 लाख लोग बेदखली और विस्थापन के खतरे का सामना कर रहे हैं.
अदालत ने कहा कि क़ानून के अनुसार सभी को अपने घर या धर्मस्थल पर इबादत करने का अधिकार है, लेकिन सार्वजनिक स्थल पर नहीं. इससे आम जनता के लिए समस्याएं पैदा होती हैं.
भाजपा सांसद ने आईएएस अधिकारी को धमकाया, बाद में बोलीं- हम पढे़ लिखे लोग हैं और हमें पता है कि किस तरह की भाषा बोलनी है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा, अगर आप रास्ते पर अवैध अतिक्रमण से प्रार्थना करते हैं तो क्या यह ईश्वर तक पहुंचेगी. कहा- मंदिर समेत ज़िम्मेदार सभी व्यक्तियों से निपटा जाएगा.
न्यायपालिका को कमज़ोर करने की कोशिशें भारतीय लोकतंत्र के मूल चरित्र के लिए ख़तरा हैं. मगर अफ़सोस की बात है कि इसे बहुमत का समर्थन हासिल है.