सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने बाद से कथित तौर पर ग़ैरक़ानूनी तरीके से नाबालिगों को हिरासत में रखे जाने को लेकर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के सौ दिन पूरे होने के मौके पर अपने मंत्रालय का ब्योरा पेश करते हुए कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे.
गुजरात के वडोदरा स्थित एमएस विश्वविद्यालय का मामला. विश्वविद्यालय सिंडिकेट के एक भाजपा सदस्य ने कहा कि हमने छात्रों और कर्मचारियों से अपनी स्वेच्छा से रैली में शामिल होने को कहा है, किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की गई.
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने की बहस के दौरान भाजपा के कई नेताओं ने दलितों को राज्य में आरक्षण का पूरा लाभ मिलने का ज़िक्र किया. यह भी कहा गया कि डॉ. आंबेडकर भी ऐसा चाहते थे. लेकिन क्या वास्तव में 370 हटने के पहले राज्य में दलितों की स्थिति ख़राब थी?
पोस्टरों के बारे में पूछे जाने पर 4 सितंबर को लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने कहा था कि यहां कोई संगठित अभियान नहीं चल रहा है.
जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट की नेता शेहला राशिद ने बीते महीने कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा स्थानीयों को प्रताड़ित करने के आरोप लगाए थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के एक वकील की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है.
शेहला राशिद के सेना द्वारा पूरे क्षेत्र में डर का माहौल बना देने के आरोपों को सेना ने ख़ारिज करते हुए आधारहीन बताया. शेहला का कहना है कि अगर सेना इनकी निष्पक्ष जांच करना चाहे, तो वे ऐसी घटनाओं की जानकारी दे सकती हैं.
इस पूरे अध्याय ने कश्मीर की आवाज़ और बोलने का हक़ दोनों छीन लिया, लेकिन कहा गया कि कश्मीरी जनता खुश है. अजीत डोभाल को सबने चार कश्मीरियों के साथ खाना खाते तो देखा पर किसी को नहीं पता कि उन तस्वीरों में पीछे कितने सैनिक बंदूक ताने खड़े थे.
जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा पर रोक और पर्यटकों को राज्य छोड़ने के आदेश के संबंध में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राजनीतिक फायदे के लिए राज्य को 1989-90 के हालात में ले जाने की कोशिश कर रही है, जब हज़ारों कश्मीरी पंडित भाई-बहनों को बाहर जाना पड़ा था.
अमरनाथ यात्रा के बाद किश्तवाड़ ज़िले में 42 दिन तक चलने वाली मचैल माता यात्रा भी रद्द. केंद्र द्वारा घाटी में सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात करने के आदेश के बाद से कश्मीर में स्थिति तनावपूर्ण है. क़ानून एवं व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका के चलते लोग राशन और आवश्यक सामान खरीदने की दुकानों के बाहर कतारों में दिखाई दे रहे हैं.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने पार्टी नेताओं के साथ राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की. मुलाकात के बाद उमर ने कहा कि राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि संविधान की धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए को रद्द किए जाने की कोई तैयारी नहीं की जा रही है.
श्रीनगर में सेना ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया गया कि खुफिया जानकारी मिली थी कि आतंकवादी अमरनाथ यात्रा को निशाना बना सकते हैं. इसके बाद यात्रा मार्ग पर खोजी अभियान चलाया गया था. इस दौरान भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं. इनमें पाकिस्तान आयुध फैक्ट्री के ठप्पे वाली लैंड माइन और अमेरिकी एम-24 स्नाइपर राइफल भी शामिल हैं.
पत्र में आरपीएफ अधिकारी ने कश्मीर में हालात बिगड़ने की आशंका के मद्देनज़र क़ानून-व्यवस्था से निपटने के लिए कर्मचारियों को कम से कम चार महीने के लिए रसद जमा कर लेने, सात दिन के लिए पानी एकत्र कर लेने और गाड़ियों में ईंधन भरकर रखने को कहा था. घाटी में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 10 हज़ार जवान तैनात किए जाने के फैसले के बाद घाटी में कई तरह की चर्चाएं हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इसके तहत जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासियों को ख़ास अधिकार और कुछ विशेषाधिकार दिए गए हैं.
संविधान में 1954 में राष्ट्रपति के आदेश पर अनुच्छेद 35-ए शामिल किया गया था. यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार और सुविधायें प्रदान करता है.