राजबली यादव: जिन्होंने आज़ादी मिलने के बाद सरकार और सामंतों ​के ख़िलाफ़ संघर्ष जारी रखा

पुण्यतिथि विशेष: उत्तर प्रदेश के अविभाजित फ़ैज़ाबाद ज़िले में जन्मे राजबली यादव 15 अगस्त 1947 को मिली आज़ादी को मुकम्मल नहीं मानते थे. आज़ादी के बाद भी उन्होंने सरकार और सामंतों के ख़िलाफ़ संघर्ष जारी रखा था और कई बार जेल भी गए.

मौलवी अहमदउल्ला शाह फ़ैज़ाबादी: 1857 का ‘फौलादी शेर’, जिसने हिंदू-मुस्लिम एकता की बेल सींची

शहादत दिवस पर विशेष: 1857 की क्रांति के दौरान साधु-फकीरों, सिपाहियों व चौकीदारों के जरिये रोटी व कमल का जो फेरा लगता था, वह भी मौलवी अहमदउल्ला की ही सूझ थी.

आज रंग है ऐ मां रंग है, मेरे महबूब के घर रंग है री…

सूफ़िया-ए-किराम हों या पीर-फ़क़ीर, दरवेश हों या साधू-संत सब अपने-अपने पीर-ओ-मुर्शिद और ख़ुदा से रिश्ता क़ायम करने के लिए इश्क़ पर ज़ोर देते हैं. इश्क़ के अनेक रंगों में एक रंग होली का है.

क्यों कुछ लोग मानते हैं कि अयोध्या में रहने वाले गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस थे

असाधारण जीवन की तरह असाधारण मृत्यु ने नेताजी के इर्द-गिर्द रहस्यों का जाल-सा बुन दिया है. दुखद यह है कि जांच आयोगों के भंवरजाल में नेताजी किसी जासूसी कथा के नायक बन गए हैं.

होली खेलें आसफ़ुद्दौला वज़ीर…

जो ये मानते हैं कि होली सिर्फ हिंदुओं का त्योहार है वो होली के दिन पुराने लखनऊ जाकर देख लें. पहचानना मुश्किल हो जाएगा रंग में डूबा कौन सा चेहरा हिंदू है कौन सा मुसलमान.