सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि यदि कोई पार्टी सत्ता में आ जाती है तो वो आलोचनाओं से परे नहीं रह सकती है. असहमति का अधिकार ऐसी आलोचनाओं की इजाज़त देता है.
नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि कोई व्यक्ति जो सरकार को पसंद नहीं आ रहा है, उसे सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. मनमाने तरीके से देशद्रोह के आरोप थोपकर लोगों को बिना मुक़दमे जेल भेजा रहा है.
अपने विदाई भाषण में जस्टिस दीपक गुप्ता ने पूरी न्यायिक व्यवस्था में मानवीय मूल्यों को स्थापित करने की बात की. उन्होंने कहा कि वकील अपने मुवक्किल से बेतहाशा फीस नहीं ले सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘लोकतंत्र और असहमति’ पर एक व्याख्यान देते हुए जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि अगर यह भी मान लिया जाए कि सत्ता में रहने वाले 50 फीसदी से अधिक मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं तब क्या यह कहा जा सकता है कि बाकी की 49 फीसदी आबादी का देश चलाने में कोई योगदान नहीं है?
अहमदाबाद में हुए एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि असहमति पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल डर की भावना पैदा करता है जो क़ानून के शासन का उल्लंघन है.
जवाहर कला केंद्र, जयपुर में होने वाले मुक्तिबोध समारोह के स्थगित होने से उपजे विवाद पर मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा का पक्ष.
बहस-मुबाहिसा: मुक्तिबोध जन्मशती वर्ष पर आयोजित एक कार्यक्रम का प्रगतिशील लेखक संघ ने बहिष्कार किया और कार्यक्रम रद्द हो गया. इस पर सवाल उठा रहे हैं लेखक अशोक कुमार पांडेय.
लेखक संघों को अब पुराने ढर्रे की अपनी उस राजनीति पर फिर से सोचना चाहिए, जो लेखकों के विवेक पर भरोसा नहीं करती.
जन गण मन की बात की 92वीं कड़ी में विनोद दुआ भारत में पनामा पेपर मामले में जांच की स्थिति और भीड़ की हिंसा को लेकर पूर्व सैनिकों द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र पर चर्चा कर रहे हैं.
भारतीय सशस्त्र बल के 114 पूर्व सैनिकों ने हाल ही में संविधान में बताए गए धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों के उलट देश में हुई हिंसा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है.
आज के नव उग्र-राष्ट्रवादी समय में यह याद करना फ़ायदेमंद होगा कि परिपक्व राष्ट्र युद्ध के समय भी साधारण व्यक्तियों या सुपरस्टारों को भी आधिकारिक ‘लकीर’ से अलग चलने की आज़ादी देता है.