कोरोना महामारी से बचने के लिए हुए लॉकडाउन के दौरान विभिन्न सेवाओं के साथ स्वास्थ्य सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई थीं, लेकिन जानकारों का मानना है कि अगर राज्य सरकारें चाहतीं, तो इन सेवाओं में हुई गिरावट को रोका जा सकता था.
उत्तर दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को बीते जून महीने से वेतन नहीं मिला है. शुक्रवार को उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर 48 घंटे में उनका वेतन जारी नहीं किया गया तो कोरोना वार्ड में ड्यूटी नहीं करेंगे.
मामला उत्तर केरल के मलप्पुरम ज़िले का है. 20 वर्षीय गर्भवती महिला को तीन अस्पतालों ने कथित तौर पर भर्ती करने से मना कर दिया था. राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सचिव को इसकी जांच का निर्देश दिया है.
उत्तरी दिल्ली नगर निगम (नॉर्थ एमसीडी) के तहत आने वाले हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टरों को आख़िरी बार जून महीने में वेतन दिया गया था. सोमवार से शुरू ऑनलाइन कैंपेन के जरिये डॉक्टर लंबित वेतन जल्द जारी करने की मांग कर रहे हैं.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिल भुगतान न होने पर एक निजी अस्पताल द्वारा वृद्ध मरीज को बिस्तर से बांधने के मामले पर संज्ञान लेते हुए अस्पतालों के रिसेप्शन पर फीस की सूची लगाने आदेश दिया था. अब अदालत ने इसके अमल को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
मीडिया में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कोविड-19 की व्यापकता का अनुमान लगाने के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय सीरो-प्रीवलेंस सर्वेक्षण के शोधकर्ताओं से 11 मई और 4 जून के बीच 10 शहरों के हॉटस्पॉट से एकत्र किए गए डेटा को शोध-पत्र से हटाने के लिए कहा था.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि मृत स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को मुआवजा या नौकरी के लिए कोविड-19 के संदर्भ में कोई विशेष योजना प्रस्तावित नहीं की गई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा संसद में दिए गए बयान में काम के दौरान कोरोना से जान गंवाने वाले डॉक्टरों का ज़िक्र न होने से नाख़ुश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ऐसे 382 चिकित्सकों की सूची जारी करते हुए उन्हें शहीद घोषित करने की मांग की है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने अपनी कोविड-19 जांच रणनीति की समीक्षा कर नया परामर्श जारी किया है. परिषद ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कोविड जांच नहीं होने के आधार पर आपात सेवा में देरी नहीं की जानी चाहिए और गर्भवती महिला को जांच की सुविधा नहीं होने के आधार पर रेफर नहीं किया जाना चाहिए.
वाराणसी के 28 चिकित्सा अधिकारियों ने 12 अगस्त को सामूहिक इस्तीफ़ा देते हुए आरोप लगाया था कि उप जिलाधिकारी उन पर दबाव बनाते हुए उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं. अधिकारियों ने प्रशासन को अतिरिक्त सीएमओ की मौत के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराया था.
मामला कोलकाता के एक निजी अस्पताल का है. मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर भर्ती करने के लिए पहले तीन लाख रुपये जमा कराने का आरोप लगाया. हालांकि अस्पताल ने इन आरोपों से इनकार किया है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे पर ध्यान दें. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि डॉक्टरों और उनके परिवार के लिए पर्याप्त देखभाल सुनिश्चित की जाए और सरकार की तरफ से उन्हें चिकित्सीय एवं जीवन बीमा दिया जाए.
मामला सहारनपुर ज़िला अस्पताल का है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक महिला सोमवार सुबह इमरजेंसी वार्ड के बाहर पति के इलाज के लिए स्वास्थ्यकर्मियों से मदद मांगती रही लेकिन किसी ने नहीं सुनी. इस शख़्स की मौत हो जाने के बाद भी उनका शव काफ़ी समय तक बारिश में वहीं पड़ा रहा. सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में अपने पति को इलाज के लिए जिला अस्पताल आई एक महिला को इलाज तो दूर की बात, उनके गुजरने के बाद पति का शव उठाने वाला
सीरो-सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड सीरम की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने दिल्ली सरकार के सहयोग से 27 जून से 10 जुलाई तक के बीच सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन किया.
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए ज़रूरी शर्तों या प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए आईसीएमआर द्वारा दिया गया एक महीने का समय बहुत लंबा है.