चुनाव अधिकार संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, केरल सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल 12 या 60 प्रतिशत मंत्रियों ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि पांच या 25 प्रतिशत मंत्रियों ने अपने ख़िलाफ़ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ निजी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 2008-12 तक मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने भूमि अधिग्रहण के ज़रिये 20 एकड़ जमीन को ग़ैरक़ानूनी रूप से अधिसूचित किया, ताकि निजी पक्षकारों को अनुचित लाभ मिल सके.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ एक आपराधिक मामले की जांच का रास्ता साफ़ कर दिया, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने जेडीएस के विधायक नागानगौड़ा कांडक को पैसे और एक मंत्री पद की पेशकश कर भाजपा में शामिल करने के लिए लुभाने की कोशिश की थी.
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह के झूठे आपराधिक मामलों में शिकायतकर्ता के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. अदालत में दायर याचिकाओं में कहा है कि फ़र्ज़ी दुर्भावनापूर्ण मुकदमों और उत्पीड़न के शिकार निर्दोष लोगों को मुआवज़ा देने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है. बिना किसी ग़लती के जेल में बंद करना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
पिछले कार्यकाल के दौरान के लंबित पड़े मामलों में दिसंबर 2020 से अब तक मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को लगा यह चौथा झटका है. हालिया मामला 2008-2012 की अवधि में अवैध तरीके से भूमि अधिसूचना वापस लेने के कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है. हाईकोर्ट ने कहा कि सत्र अदालत ने 2016 में इस मामले को ख़ारिज करने में ग़लती की थी.
बीते पंद्रह दिनों में यह दूसरी बार है जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की याचिका ख़ारिज की है. इससे पहले 23 दिसंबर को अदालत ने भूमि अधिसूचना वापस लेने के एक अन्य मामले में चल रही आपराधिक कार्रवाई रद्द करने के येदियुरप्पा के अनुरोध को नहीं माना था.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से जुड़ा यह मामला साल 2006 का है, जब वह उप-मुख्यमंत्री थे. उन पर कथित तौर पर सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि का एक हिस्सा निजी व्यक्तियों के लिए जारी करने का आरोप है. हाईकोर्ट ने मामले में पिछले पांच साल में जांच पूरी कर पाने में विफल होने पर लोकायुक्त पुलिस को लताड़ लगाई है.
कर्नाटक सरकार ने राज्य के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली एक उप-समिति के सुझावों पर 31 अगस्त, 2020 को सत्ताधारी भाजपा के सांसदों और विधायकों पर दर्ज 61 मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया था.
शीर्ष अदालत ने 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के एर्नाकुलम संसदीय सीट पर सौर पैनल घोटाला मामले में दोषी सरिता नायर का नामांकन पत्र निरस्त करने के निर्वाचन अधिकारी के फैसले के ख़िलाफ़ दायर अपील पर सुनाए गए फैसले में यह टिप्पणी की.
राजनीति में प्रवेश से पहले मेवालाल चौधरी भागलपुर के बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे. असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में अनियमितता के आरोपों और एफआईआर दर्ज किए जाने के मद्देनजर उन्हें 2017 में नीतीश कुमार नीत जदयू से निलंबित कर दिया गया था.
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान तीन नवंबर को होगा. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक़ 1,463 उम्मीदवारों में से 389 उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर तीन नवंबर को उपचुनाव होने हैं. इनमें से अधिकतर सीटें कांग्रेस के बागी विधायकों के पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद खाली हुई हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ मामले लंबित हैं, क्योंकि पुलिस अधिकारी कभी-कभी ऐसे जनप्रतिनिधियों के दबाव के चलते क़ानून का अनुपालन नहीं कर पाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि पांच मार्च 2020 और 10 सितंबर 2020 के आदेश के अनुपालन में उच्च न्यायालयों को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक सांसदों/विधायकों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून के तहत 175 मामले और धनशोधन निषेध क़ानून के तहत 14 मामले लंबित हैं.
पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, अभियोजन निदेशक और सरकारी मुकदमा और क़ानून विभाग ने सत्ताधारी भाजपा के सांसदों और विधायकों पर दर्ज मामलों को वापस न लेने की सिफ़ारिश की थी. वापस लिए गए मामलों में कर्नाटक के क़ानून मंत्री और पर्यटन मंत्री के ख़िलाफ़ दर्ज केस भी शामिल हैं.