सबसे ग़रीब तबकों में बाल मृत्यु दर और कुपोषण के स्तर को देखते हुए यह समझ लेना होगा कि लोक सेवाओं और अधिकारों के संरक्षण के बिना न तो ग़ैर-बराबरी ख़त्म की जा सकेगी, न ही भुखमरी, कुपोषण और बाल मृत्यु को सीमित करने के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा.
जब से नई आर्थिक नीतियां आईं, चुनिंदा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए खुलेआम जनविरोधी नीतियां बनाई जाने लगीं, तभी से देश राष्ट्र में तब्दील किया गया. इन नीतियों से भुखमरी, कुपोषण और ग़रीबी का चेहरा और विद्रूप होने लगा तो देश के सामने राष्ट्र को खड़ा कर दिया गया. खेती, खेत, बारिश और तापमान के बजाय मंदिर और मस्जिद ज़्यादा बड़े मुद्दे बना दिए गए.
जन गण मन की बात की 191वीं कड़ी में विनोद दुआ बजट में कृषि क्षेत्र को लेकर हुई घोषणाओं और देश में वीआईपी संस्कृति के चलन पर चर्चा कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि यह किसानों, गरीबों व वंचितों का बजट है तो उन्हें याद दिलाना होगा कि उन्होंने पिछले बजट को ‘सबके सपनों का बजट’ बताया था.
जन गण मन की बात की 190वीं कड़ी में विनोद दुआ नरेंद्र मोदी सरकार के आख़िरी पूर्ण बजट पर चर्चा कर रहे हैं.
गरीबों की शिकायतों पर कार्रवाई न करने पर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार.
कांग्रेस ने कहा, भारत की जीएसटी दर दुनिया में सबसे ऊंची, ‘एक देश, एक कर’ का जो सपना था वह आज ‘एक देश, सात कर’ बन गया है.
साझी विरासत बचाओ सम्मेलन में विपक्षी दलों ने कहा, धर्म और पशु के नाम पर लोगों को बांटने का काम कर रही है सरकार.