बीते 5 मार्च को सात महीने के बाद जम्मू कश्मीर में इंटरनेट से प्रतिबंध हटाया गया है. एक तबके का मानना था कि यह बैन शांति प्रक्रिया के लिए अहम था, हालांकि स्थानीयों के मुताबिक़ यह प्रतिबंध मनोरंजन या सोशल मीडिया पर नहीं बल्कि आम जनता के जानने और बोलने पर था.
अलीगढ़ के अपर कोट क्षेत्र में रविवार को महिलाओं को पुलिस द्वारा नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने की अनुमति न देने की बात कहकर रोकने के कोशिश की गई जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई. हिंसा के बाद क्षेत्र में सोमवार आधी रात तक इंटरनेट बंद कर दिया गया है.
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर असम में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच इंटरनेट पर पाबंदी 16 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है. वहीं मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का कहना है कि हिंसा के पीछे कांग्रेस और कुछ सांप्रदायिक ताकतें हैं.
यूनेस्को इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट की दक्षिण एशिया प्रेस फ्रीडम रिपोर्ट, 2017-18 में कहा गया है कि इंटरनेट सेवा बंद करने की घटनाएं विश्व भर में बढ़ रही हैं और यह प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण का पैमाना है.