बीते सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी पर ग्लेशियर टूटने से अचानक भीषण बाढ़ आ गई थी. इससे ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था. आपदा में 204 व्यक्ति लापता हुए थे.
रामनगर में एक कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि अगर लोगों को कोविड-19 के दौरान अधिक राशन पाना था तो दो से ज़्यादा बच्चे पैदा करते. इसी कार्यक्रम में रावत ने कहा कि भारत 200 साल अमेरिका का ग़ुलाम था और अब कोविड-19 ने उसकी शक्ति को भी कम कर दिया.
ये बैनर दक्षिणपंथी समूह हिंदू युवा वाहिनी द्वारा लगाए गए जिसके सदस्यों का दावा है कि वे उत्तराखंड के सभी मंदिरों में ऐसे बैनर लगाएंगे. यह क़दम गाज़ियाबाद के डासना देवी मंदिर में एक मुस्लिम किशोर को पानी पीने के लिए प्रताड़ित किए जाने के बाद सामने आया है.
हाल ही में उत्तराखंड का मुख्यमंत्री पद संभालने वाले तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि फटी जींस पहनने वाली महिला क्या संस्कार देगी. रावत ने कहा था कि घुटने दिखाना, रिप्ड जींस पहनना अमीर बच्चों की तरह दिखना है, घुटनों पर फटी जींस पहनकर ख़ुद को बड़े बाप का बेटा समझते हैं. ऐसे फैशन में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं.
बाल अधिकारों पर हो रही एक वर्कशॉप में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि अब हम अपने बच्चों को ‘कैंची से संस्कार’ दे रहे हैं, घुटने दिखाना, रिप्ड जींस पहनना... घुटनों पर फटी जींस पहनकर ख़ुद को बड़े बाप का बेटा समझते हैं. ऐसे फैशन में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं.
एनजीटी ने कोटद्वार में खोह नदी के किनारे अवैध रूप से बनाए गए कचरा स्थल को लेकर उत्तराखंड सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वैधानिक नियमों के उल्लंघन के लिए राज्य के शहरी विकास सचिव सहित इसके वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई का मामला बनता है.
कैग ने साल 2014 से 2019 के बीच उत्तराखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र में हुए कार्यों का आकलन किया है. इसके लिए चार जिलों के छह अस्पतालों को चुना गया था. ख़ास बात ये है कि राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास स्वास्थ्य विभाग का भी प्रभार था.
उत्तराखंड भाजपा में उपजे असंतोष के कारण मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. इसकी वजह पूछे जाने पर उन्होंने इसे पार्टी का सामूहिक निर्णय बताया था.
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड भाजपा के एक धड़े के नेताओं का मानना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में पार्टी का भविष्य ठीक नहीं दिख रहा है. इसके बाद से ही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाएं जताई जा रही थीं. कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री का इस्तीफ़ा भ्रष्टाचार और विफलता पर पर्दा डालने की कोशिश है.
हरिद्वार ज़िले में बूचड़खानों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग को लेकर उत्तराखंड के पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की अगुवाई में हरिद्वार के क्षेत्रीय विधायकों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक मार्च को एक पत्र सौंपा था. उन्होंने कहा कि हरिद्वार देश की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक राजधानी है. यहां बूचड़खानों का कोई औचित्य नहीं है.
नदी, पहाड़, जैव-विविधता की अनदेखी कर बनी बड़ी हाइड्रो पावर परियोजनाओं से पैदा ऊर्जा को 'ग्रीन एनर्जी' कैसे कह सकते हैं? एक आकलन के अनुसार कई परियोजनाएं तो उनकी क्षमता की 25 प्रतिशत बिजली भी पैदा नहीं कर पा रही हैं. तो अगर ये परियोजनाएं व्यावहारिक नहीं हैं, तो सरकार ज़िद पर क्यों अड़ी है?
भूगर्भ वैज्ञानिक निरंतर चेतावनी दे रहे हैं कि सभी ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न मौसमी बदलाव हो रहे हैं. ऐसे में तरह-तरह के हाइड्रोप्रोजेक्ट बनाने की ज़िद प्राकृतिक हादसों को आमंत्रण दे रही है. सबसे चिंताजनक यह है कि केंद्र या उत्तराखंड सरकार इन क्षेत्रों में लगातार हो रहे हादसों से कुछ नहीं सीख रही है.
उत्तराखंड के चमोली ज़िले के नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग के चौड़ीकरण की मांग को लेकर हज़ारों प्रदर्शनकारी विधानसभा का घेराव करने पहुंचे थे. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि मार्ग के चौड़ीकरण की घोषणा पहले ही की जा चुकी है.
बीते सात फरवरी को चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी में पर ग्लेशियर टूटने से अचानक भीषण बाढ़ आ गई थी. इससे चमोली ज़िले के रैणी और तपोवन क्षेत्र में जानमाल का भारी नुकसान हुआ था. आपदा में 204 व्यक्ति लापता हुए थे, जिनमें से अभी तक 70 के शव बरामद हो चुके हैं और 134 लोग अब भी लापता हैं.
बीते सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी में ग्लेशियर टूटने से अचानक भीषण बाढ़ आ गई थी. बाढ़ से रैणी गांव में स्थित उत्पादनरत 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था.