‘औरतों की ज़िंदगी कोख के अंधेरे से क़ब्र के अंधेरे तक का सफ़र है’

'किसी समाज व शासन की सफलता इस तथ्य से समझी जानी चाहिए कि वहां नारी व प्रकृति कितनी संरक्षित व पोषित है, उन्हें वहां कितना सम्मान मिलता है.'

योग के शोर के बीच महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि उपेक्षा की शिकार है

जब पूरे देश में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी चल रही है, योग सूत्र और महाभाष्य के प्रणेता महर्षि पतंजति की जन्मभूमि को कोई पूछने वाला नहीं है. उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले के कोंडर गांव में स्थित पतंजलि की जन्मभूमि उपेक्षा की शिकार है.