देश में एचआईवी और एड्स क़ानून आने के दो साल बाद भी क्रियान्वयन की ढीली रफ़्तार

एचआईवी/एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम 2017 क़ानून का उद्देश्य एचआईवी/एड्स के प्रसार को नियंत्रित और इससे ग्रस्त लोगों के साथ होने वाले भेदभाव को कम करना था. लेकिन क़ानून आने के दो साल बाद भी इसकी नीतियों के क्रियान्वयन को लेकर अभी मसौदा तैयार किया जा रहा है.

मिज़ोरम में एड्स के करीब 18 हज़ार मरीज़, आंकड़ा भारत में सर्वाधिक: रिपोर्ट

देश में एचआईवी/एड्स से सबसे अधिक प्रभावित राज्य मिज़ोरम है, जहां 17,897 लोग इस रोग से प्रभावित हैं. राज्य में हर दिन एड्स के औसतन नौ नए मामले सामने आते हैं.

900 बच्चों के एचआईवी संक्रमित पाए जाने के बाद पाकिस्तान के राटोडेरो में दहशत का माहौल

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना ज़िले के राटोडेरो में अप्रैल में इस संक्रमण का पता लगा था. तब से अब तक शहर के क़रीब 1100 लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें 900 से ज़्यादा बच्चे हैं.

महाराष्ट्र में पिछले 11 महीनों में एचआईवी ने ली 2400 से अधिक लोगों की जान

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में बताया कि पिछले साल एक अप्रैल से इस साल फरवरी तक एचआईवी संक्रमण से 2460 लोगों की मौत हुई.

सरकार एचआईवी मरीजों से भेदभाव पर रोक वाले क़ानून को क्यों अधिसूचित नहीं कर रही: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन को एचआईवी से ग्रस्त लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए बने क़ानून की अधिसूचना तत्काल जारी करने के संबंध में नोटिस जारी किया है.

छत्तीसगढ़ में एड्स से पांच सालों में 3051 लोगों की मौत

विधानसभा में एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने बताया कि राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1150, डॉक्टर के 610, पैरामेडिकल स्टाफ के 2,918 और नर्सिंग स्टाफ के 2,311 पद रिक्त हैं.

यौनकर्मियों को मूल अधिकार देने के लिए देह व्यापार को वैध किए जाने की मांग

एक सामाजिक संगठन द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि यौनकर्मियों के पुनर्वास और उत्थान के लिए देह व्यापार को क़ानूनी जामा पहनाने की ज़रूरत है.

एचआईवी-एड्स प्रभावितों को नौकरी से निकालने पर मिलेगी सज़ा

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एचआईवी और एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 2017 को मंज़ूरी दी. ऐसा कानून बनाने वाला दक्षिण एशिया का पहला देश बना भारत.

देश में एचआईवी प्रभावित बच्चों की जीवन-रक्षक दवा का टोटा

सरकार द्वारा बकाया न चुकाए जाने के चलते प्रसिद्ध दवा निर्माता कंपनी सिप्ला ने एचआईवी प्रभावित बच्चों के लिए बेहद ज़रूरी दवा को बनाना बंद कर दिया है.