वीडियो: इतनी सारी सामाजिक-आर्थिक मुश्किलों के बीच मीडिया में किसी संकीर्ण धारा की राजनीतिक प्रयोगशाला में गढ़े हुए ‘लव जिहाद’ जैसे शब्द राष्ट्रीय-समाचार और ब्रेकिंग न्यूज़ क्यों बनते हैं? हाल में ‘एयर स्ट्राइक’ की एक फ़र्ज़ी ख़बर काफ़ी देर तक न्यूज़ चैनलों पर क्यों और कैसे चलती रही? इन मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष से वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की बातचीत.
साल 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली टीम के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा कि अब इसे सर्जिकल स्ट्राइक कहें या सीमापार कार्रवाई लेकिन सेना ने पहले भी ऐसा किया है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर अपनी अक्षम्य विफलता को छिपाने के लिए मोदी सरकार सैन्य बलों के शौर्य के पीछे छिप रही है. यह अपमानजनक और अस्वीकार्य है.
रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत का कहना है कि राष्ट्रवाद युद्ध की ओर ले जाता है. हमें कश्मीरी नागरिकों से बात करनी चाहिए क्योंकि आगे बढ़ने का यही एक रास्ता है.
मीडिया बोल की 88वीं कड़ी में उर्मिलेश एयर स्ट्राइक पर मीडिया रिपोर्टिंग पर पत्रकार आशुतोष और द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से चर्चा कर रहे हैं.
जब इस दौर का इतिहास लिखा जाएगा, नफ़रत का माहौल बनाने में मीडिया की भूमिका का ज़िक्र ख़ासतौर पर होगा.
विदेश मामलों की स्थायी संसदीय समिति के सूत्रों ने कहा कि विदेश सचिव ने 26 फरवरी को बालाकोट में हुए एयर स्ट्राइक में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर में मारे गए आतंकवादियों की संख्या के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया.
सरकार ने संदेश दिया है कि गाली और धमकियां देने वाले हमारे लोग हैं. इनको कुछ नहीं होना चाहिए. उसकी यह कार्रवाई एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अफसर को हतोत्साहित करती है और लंपटों की जमात को उत्साहित करती है.