देश के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने अपनी नई किताब ‘द पॉपुलेशन मिथ: इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया’ में कहा है कि मुस्लिमों ने जनसंख्या के मामले में हिंदुओं से आगे निकलने के लिए कोई षड्यंत्र नहीं रचा है और उनकी संख्या देश में हिंदुओं की संख्या को कभी चुनौती नहीं दे सकती.
भारतीय संविधान के 70 साल पूरे होने के अवसर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाली हस्तियों ने रविवार को एक पत्र जारी कर स्पष्ट सवाल किया कि क्या ‘संविधान सिर्फ प्रशासन चलाने की नियमावली है?
इसके अलावा एक मार्च 2018 से 24 जुलाई 2019 के बीच खरीदे गए कुल चुनावी बॉन्ड में से 99.7 फीसदी बॉन्ड 10 लाख और एक करोड़ रुपये के थे. करीब 80 फीसदी चुनावी बॉन्ड नई दिल्ली में भुनाए गए हैं.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने कहा कि मतपत्र की ओर वापस लौटने का कोई सवाल नहीं है. ईवीएम प्रणाली समाप्त करने की बजाय, इन मशीनों में सुधार की संभावना तलाशी जानी चाहिए.
एसबीआई ने बताया कि मार्च 2018 से 24 जनवरी 2019 के बीच कुल 1,407.09 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे गए थे, जिसमें से 1,403.90 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड 10 लाख और एक करोड़ रुपये के थे.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलों को निर्देश दिया है कि 30 मई तक वे चुनावी बॉन्ड की राशि और इसके दानकर्ताओं के नाम समेत सभी जानकारी सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को दें. अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में अंतिम फैसला विस्तृत सुनवाई के बाद लिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने की याचिका पर हो रही सुनवाई में मोदी सरकार ने बॉन्ड देने वालों की गोपनीयता को बनाए रखने की बात कही, वहीं चुनाव आयोग ने कहा कि पारदर्शिता के लिए दानकर्ताओं के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि पहले चुनाव आयोग को ये पता चलता था कि 20,000 रुपये से ऊपर का चंदा किसने और किस पार्टी को दिया है. लेकिन, इलेक्टोरल बॉन्ड की वजह से अब ये जानकारी पूरी नहीं मिलती है.
चुनाव आयोग को पारदर्शिता के हक़ में कदम में उठाते हुए मौजूदा व्यवस्था की तुलना में बूथों के ज्यादा बड़े सैंपल के वीवीपैट सत्यापन की मांग को स्वीकारना चाहिए.
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक यह इस बात का प्रमाण है कि किस तरह मोदी-शाह की जोड़ी पार्टी के आतंरिक लोकतंत्र और उससे जुड़ी परंपराओं को ख़त्म कर रही है.
झूठे प्रचार और अफवाह सिर्फ संस्थानों को ही नुकसान नहीं पहुंचाते, देश को भी आग में झोंक सकते हैं. चुनाव आयोग की निष्पक्षता, स्वतंत्रता और ईमानदारी की रक्षा किसी भी कीमत पर किये जाने की जरूरत है.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के मुताबिक ईवीएम में धांधली के आरोप पूरी तरह निराधार हैं. यदि इसमें छेड़छाड़ की गुंजाइश होती तो किसी सरकार की हार नहीं होती.