पुलिस का दावा है कि ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि हिंसा को फैसले से रोका जा सके, क्योंकि एनकाउंटर वाले स्थान से रिपोर्टिंग करने पर ‘देशविरोधी भावना’ भड़कती है. हालांकि एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि सत्य बताने में कुछ भी ग़लत नहीं है.
पुलिस ने मृतकों की पहचान कॉन्स्टेबल निसार अहमद, दो विशेष पुलिस अधिकारियों फिरदौस अहमद और कुलवंत सिंह के तौर पर की है. ये पुलिसकर्मी शोपियां जिला के कापरेन और हीपोरा इलाके से थे.
कश्मीरी पुलिसकर्मी अपने पेशे के चलते आतंकियों के लिए घृणा का पात्र बन जाते हैं वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी फिक्र करता कोई नहीं दिखता.
जब एक आतंकवादी मारा जाता है, तो उसे भी उसके हिस्से का सम्मान मिलता है, उसके परिवार को खुलकर मातम मनाने की आजादी मिलती है. लेकिन, पुलिसकर्मियों की मातमपुर्सी में बहुत कम लोग आते हैं.