यह पहली बार है जब नेपाल ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है. बीते साल अगस्त में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के साथ ह्वाइट हाउस में बैठक के दौरान कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच ‘मध्यस्थ’ बनने की पेशकश की थी.
दावोस में हो रहे विश्व आर्थिक मंच की बैठक से इतर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो चल रहा है... अगर हम मदद कर सकते हैं, तो हम निश्चित तौर पर करना चाहेंगे. हमने इस पर करीबी नजर बना रखी है और मेरे दोस्त के साथ यहां होना गर्व की बात है.
जहां सारी दुनिया को इस बात का एहसास जल्द ही हो गया था कि डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका एक भरोसेमंद साथी नहीं है, नरेंद्र मोदी ने इसके बावजूद भारत के वॉशिंगटन से संबंध प्रगाढ़ किए. यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि इसकी कीमत क्या होगी.
वीडियो: सोमवार को वॉशिंगटन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की मौजूदगी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने का अनुरोध किया था. भारत ने ट्रम्प के इस दावे को नकार दिया है. इस बारे में द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कश्मीर समस्या पर मध्यस्थता करने को लेकर दिए बयान के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा कि दोनों देश द्विपक्षीय तरीके से कभी कश्मीर विवाद नहीं सुलझा सकेंगे.
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इस दावे से भारत सरकार ने इनकार किया है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत पाकिस्तान की बीच लंबित मसलों पर कोई भी बातचीत द्विपक्षीय ही होगी.
उर्दू वाला चश्मा की इस कड़ी में नूपुर शर्मा कश्मीर मुद्दे पर चर्चा कर रही हैं. साथ ही उन्होंने पत्रकार और लेखक डेविड देवदास से भी बात की, जो कश्मीर पर किताबें लिख चुके हैं.
बीते 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के एक काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद प्रशासन द्वारा कई राजनीतिक और अलगाववादियों नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली गई थी.
पुलवामा हमले के बाद हालात ऐसे हैं कि भाजपा इसका राजनीतिक लाभ लेने के लोभ से बच ही नहीं सकती. नरेंद्र मोदी के लिए इससे बेहतर और क्या होगा कि नौकरियों की कमी और कृषि संकट से ध्यान हटाकर चुनावी बहस इस बात पर ले आएं कि देश की रक्षा के लिए सर्वाधिक योग्य कौन है?
जम्मू कश्मीर में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद जवान अजय कुमार के अंतिम संस्कार में केंद्रीय राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और मेरठ से भाजपा विधायक राजेंद्र अग्रवाल शामिल हुए थे.
पुलवामा के पिंगलान इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों की एक संयुक्त टीम ने कार्रवाई शुरू की थी. इस मुठभेड़ में एक आम नागरिक की भी मौत हो गई है.
नेशनल बम डेटा सेंटर की नई रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 2014 में 37 बम धमाके, 2015 में 46 बम धमाके, 2016 में 69 बम धमाके, 2017 में 70 बम धमाके और 2018 में 117 ऐसे बम धमाके हुए.
जम्मू कश्मीर के पुलवामा ज़िले में आतंकी हमले को लेकर सोशल मीडिया पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य हिस्सों में गिरफ़्तारियां हुई हैं.
किसी आतंकी हमले के बाद निंदा और बदले के बजाय इंसाफ़ और समाधान की बात क्यों नहीं की जाती? अभी जिस बदले की हमारे सत्ताधीश बात कर रहे हैं, कभी उन्होंने इस बात पर ग़ौर किया है कि क्या उसका कोई सार्थक परिणाम निकलेगा?
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ के अलावा शब्बीर शाह, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन और अब्दुल गनी भट की भी सुरक्षा वापस ले ली है.