कैग ने इस बात को लेकर चेताया है कि अगर बिना सत्यापन के कृषि आय के तहत टैक्स छूट दी जाती रहेगी तो इसकी आड़ में बेहिसाब काला धन आने की आशंका है.
ग्रामीण क्षेत्रों में न सिर्फ कृषि आय घटी है बल्कि इससे जुड़े काम करने वालों की मज़दूरी भी घटी है. प्रधानमंत्री मोदी कृषि आय और मज़दूरी घटने को जोशीले नारों से ढंकने की कोशिश में हैं.
2015-16 से तीन साल तक 10.4 प्रतिशत की दर से प्रगति करने पर ही हम कृषि क्षेत्र में दोगुनी आमदनी के लक्ष्य को पा सकते थे. इस वक़्त यह 2.9 प्रतिशत है. मतलब साफ है लक्ष्य तो छोड़िए, लक्षण भी नज़र नहीं आ रहे हैं. अब भी अगर इसे हासिल करना होगा तो बाकी के चार साल में 15 प्रतिशत की विकास दर हासिल करनी होगी जो कि मौजूदा लक्षण के हिसाब से असंभव है.
सब्ज़ियों, फलों और प्रोटीन वाले सामान मसलन अंडों के दाम में कमी आई है. हालांकि, मांस, मछली और दालों के दामों में मामूली बढ़ोतरी हुई है. उद्योग संघों ने आरबीआई से ब्याज घटाने को कहा है.
नाबार्ड के हालिया अध्ययन के मुताबिक भारत में 10.07 करोड़ किसानों में से 52.5 प्रतिशत क़र्ज़ में दबे हुए हैं. वर्ष 2017 में एक किसान परिवार की कुल मासिक आय 8,931 रुपये थी.
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की रिपोर्ट के मुताबिक एक कृषि परिवार की मासिक औसत कमाई 8,931 रुपये है. देश के आधे से ज़्यादा कृषि परिवार क़र्ज़ के दायरे में हैं और हर एक व्यक्ति पर औसतन एक लाख से ज़्यादा का क़र्ज़ है.