साल 2014 से लेकर अब तक दस राज्यों ने कुल 2.70 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण को माफ़ करने की घोषणा की थी, लेकिन इसमें से 1.59 लाख करोड़ रुपये के ही क़र्ज़ माफ़ हुए हैं. इसके साथ ही आंकड़े बताते हैं कि 2015 से 2020 के बीच किसानों के क़र्ज़ में लगभग 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
लोकसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है कि केंद्र नहीं बल्कि राज्य अपने संसाधनों से अपनी स्वयं की आवश्यकता के अनुसार कृषि ऋण माफ़ी योजनाओं की घोषणा करते हैं.