जहां देश एक ओर 'गुजरात मॉडल' के भेष में पेश किए गए छलावे को लेकर आज सच जान रहा है, वहीं गुजरात के केवड़िया गांव के आदिवासियों ने काफ़ी पहले ही इसके खोखलेपन को समझकर इसके ख़िलाफ़ सफलतापूर्वक एक प्रतिरोध आंदोलन खड़ा किया था.
एचडीएफसी बैंक की वडोदरा शाखा के मैनेजर ने इसके लिए प्रबंधक कंपनी राइटर बिजनेस सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारियों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है. कंपनी पर अक्टूबर 2018 से मार्च 2020 के दौरान यह धनराशि निकालने का आरोप है.
सी-प्लेन सर्विस और सी-प्लेन हवाई अड्डों के लिए आवश्यक पर्यावरण मंज़ूरियां नहीं लिए जाने के बावजूद इन परियोजनाओं पर काम शुरू करना पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 का उल्लंघन है.
केवड़िया के पास नर्मदा नदी के पास बनी 182 मीटर ऊंची इस प्रतिमा के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों का आरोप है कि राज्य सरकार ने उनके पूर्वजों से ज़मीन बांध बनाने के लिए ली थी, लेकिन अब इसका व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है. इसलिए या तो उन्हें उचित मुआवज़ा दिया जाए या फिर उनकी ज़मीन लौटाई जाए.
गुजरात के आदिवासी कल्याण मंत्री गणपत वसावा ने आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि कुछ नेता और एनजीओ आदिवासियों का इस्तेमाल करते हुए अपनी राजनीति कर रहे हैं और नर्मदा परियोजना को बदनाम कर रहे हैं.