मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में 2004 में आम चुनाव कराने वाले टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा कि कॉरपोरेट चंदे के माध्यम से धन जुटाने का अपारदर्शी तरीका चिंता पैदा करने वाला है.
पार्टियों को चार साल में कॉरपोरेट से 957 करोड़ रुपये का चंदा, इसमें से सबसे ज़्यादा 705.81 करोड़ भाजपा को मिला है.