मनरेगा के तहत काम मांगने वालों बढ़ती संख्या ये दर्शाता है कि ग्राम पंचायत ज़्यादा से ज़्यादा बेरोज़गारों को काम दे रहे हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वास्तविक समय के निगरानी आंकड़ों के अनुसार, गंगा नदी के विभिन्न बिंदुओं पर स्थित 36 निगरानी इकाइयों में करीब 27 बिंदुओं पर पानी की गुणवत्ता नहाने, वन्यजीव तथा मत्स्य पालन के अनुकूल पाई गई.
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते दिल्ली, हरियाणा जैसे कई राज्यों से जैसे-तैसे उत्तर प्रदेश तक पहुंचे बिहार के मज़दूरों को राज्य की सीमा पर रोक दिया गया था. आरोप है कि बिहार सरकार ने मज़दूरों के लिए जो दावे और वादे किए थे, वैसा कोई इंतज़ाम नहीं था. न प्रशासन की ओर से उनके खाने-पीने की व्यवस्था थी, न ही उनकी स्क्रीनिंग की.
द वायर के संस्थापक संपादकों ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि यूपी पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर जायज़ अभिव्यक्ति और तथ्यात्मक जानकारी पर हमला करने की कोशिश है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते कोरोना राहत पैकेज की घोषणा करते हुए मनरेगा मज़दूरी में वृद्धि की बात कही. हालांकि यह एक रूटीन वार्षिक कवायद थी, जिसे पहले ही ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया था.
प्रवासी मज़दूरों का सामूहिक पलायन भुखमरी के तात्कालिक भय से कहीं ज़्यादा, ग़रीब हिंदुस्तानियों के सामूहिक अवचेतन में सदियों से बैठी इस धारणा का प्रमाण है कि उन्हें सत्ता, उसकी व्यवस्था और समाज के संपन्न वर्ग से कभी कोई आशा नहीं करनी चाहिए और यह कि 'अंत में ग़रीब की कोई नहीं सुनेगा.'
लाॅकडाउन के कारण जगह-जगह फंसे प्रवासी मज़दूरों के लिए सरकार द्वारा बसें चलाने के बाद नोएडा, फरीदाबाद, गुड़गांव आदि जगहों पर काम करने वाले नेपाली कामगार भी अपने देश के लिए रवाना हुए. ये सोनौली तक तो पहुंच गए लेकिन दोनों ओर की सीमाएं बंद होने के चलते 326 नेपाली नागरिक भारत की तरफ फंसे हैं.
घटना बिहार के भोजपुर ज़िले के आरा की है. मुसहर समुदाय से आने वाले आठ वर्षीय राकेश की मौत 26 मार्च को हो गई थी. उनकी मां का कहना है कि लॉकडाउन के चलते उनके पति का मजदूरी का काम बंद था, जिसके चलते 24 मार्च के बाद उनके घर खाना नहीं बना था.
कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र हुए लॉकडाउन के बाद दस मज़दूर हरियाणा के बल्लभगढ़ से उत्तर प्रदेश के देवरिया में अपने घर पहुंचे हैं. 800 किलोमीटर की यह यात्रा उन्होंने तीन दिनों में पैदल, ट्रक, ऑटो और सरकारी बस की मदद से पूरी की.
बीते एक साल से ज़्यादा समय से मुश्किल में चल रहे पूर्वांचल के अंडा उत्पादकों और मुर्गी पालकों के लिए कोरोना के मद्देनज़र हुआ लॉकडाउन संकट बनकर उभरा है. कोरोना संक्रमण के डर से जहां मुर्गों की मांग घटी, वहीं लॉकडाउन के चलते अंडा उत्पादकों को ख़रीददार नहीं मिल रहे हैं.
सरकार द्वारा ग़रीबों की मदद के नाम पर स्वास्थ्य संबंधी मामूली घोषणाएं की गई हैं. हमें नहीं पता अगर कोई ग़रीब कोरोना से संक्रमित हुआ तो उसे उचित स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी. अगर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई तो बेड और वेंटिलिटर जैसी सुविधाएं मिलेंगी?
कृतज्ञता के साथ जब अपनी लाचारी का एहसास जुड़ जाए तो मनुष्य उससे मुक्त होना चाहता है. एक समुदाय ही रहम, कृपा, राहत का पात्र बनता रहे यह वह कबूल नहीं कर सकता. वह बराबरी हासिल करना चाहता है.
25 मार्च को केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बताया कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत अब पीडीएस धारकों को 2 किलो अतिरिक्त अनाज मिलेगा, जिससे देश के 81 करोड़ लाभार्थी अगले तीन महीने तक लाभांवित होंगे. 26 मार्च के वित्त मंत्री के ऐलान में लाभार्थियों की संख्या 80 करोड़ है. एक करोड़ का हिसाब क्या सरकार के बोलने-लिखने में गायब हो गया?
घटना मुंबई के उपनगर कांदिवली की है. पुलिस के अनुसार मृतक के भाई ने उसे लॉकडाउन के चलते घर से बाहर जाने को मना किया था. उसके बाहर से लौटने पर दोनों के बीच बहस के बाद आरोपी ने उस पर किसी धारदार वस्तु से हमला किया.
कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 21 दिनों के देशव्यापी बंद शुरू होने के चंद घंटों बाद ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दर्जनों अधिकारियों के साथ अयोध्या में रामलला की मूर्ति को एक अस्थायी मंदिर में रखने के कार्यक्रम में पहुंचे थे, जिस कारण विपक्ष ने उन पर निशाना साधा है.