साइकिल गर्ल ज्योति पासवान के पिता मोहन पासवान का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. ज्योति पिछले साल राष्ट्रीय लॉकडाउन में अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर गुड़गांव से दरभंगा तक लगभग 1,200 किलोमीटर का सफ़र करने के बाद सुर्खियों में आई थीं.
भाजपा सांसद गौतम गंभीर और भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी. वी. समेत कई नेताओं पर कोविड-19 दवाओं और अन्य राहत सामग्रियों की जमाखोरी के आरोप लगे थे. दिल्ली पुलिस ने उन्हें क्लीनचिट दे दिया था. हाईकोर्ट ने कहा है कि महामारी के दौरान नेताओं को दवाएं ख़रीदने और अपनी छवि बनाने के लिए जमाखोरी करने की कोई ज़रूरत नहीं थी.
गुजरात सरकार ने डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन को मृत्यु प्रमाण पत्र और मौत के आंकड़ों में फ़र्क़ की वजह बताया
गुजराती दैनिक दिव्य भास्कर ने एक रिपोर्ट में बताया है कि राज्य में 1 मार्च से 10 मई के बीच 1.23 लाख मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, लेकिन इस बीच सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 4,218 कोरोना मौतें दर्ज हैं. इस पर गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने कहा है कि सर्टिफिकेट के आधार पर मौतों की संख्या बताना सही नहीं है.
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन की ओर से कहा गया है कि मृतकों की सूची में कम से कम तीन मुख्य अभियंता और उत्तर प्रदेश के नौ अधीक्षण अभियंताओं सहित दो दर्जन से ज़्यादा अधीक्षण अभियंता शामिल हैं. संगठन ने सरकार से प्राथमिकता के आधार पर विद्युत कर्मचारियों के लिए टीकाकरण शिविर लगाने और उन्हें अग्रिम पंक्ति का कर्मचारी मानने की अपनी की है.
दिल्ली पुलिस की ने कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों को ज़रूरी दवा और ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराने के लिए भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. से शुक्रवार को पूछताछ की. कांग्रेस ने इस पूछताछ को राजनीतिक नाटक क़रार देते हुए कहा कि मोदी सरकार देश में ‘छापेमारी राज’ कायम करने की जगह ‘राजधर्म’ का पालन करे.
गांधी परिवार मौजूदा स्थिति में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ना नहीं चाहता क्योंकि राजनीतिक रूप से यह परिवार बहुत कमज़ोर स्थिति में हैं और अगर इस वक़्त पार्टी हाथ से निकल गई, तो इसके परिणाम दूरगामी होंगे.
कांग्रेस कार्य समिति ने महामारी के हालात सुधरने तक जून में प्रस्तावित पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव को अस्थायी तौर पर स्थगित कर दिया है. वहीं पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि हालिया चुनावी विफलताओं की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जो जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
कोविड-19 की दूसरी लहर ने जिस राष्ट्रीय आपदा को जन्म दिया है, वैसी आपदा भारत ने आजादी के बाद से अब तक नहीं देखी थी. इस बात के तमात सबूत सामने हैं कि इसे टाला जा सकता था और इसके प्राणघातक प्रभाव को कम करने के लिए उचित क़दम उठाए जा सकते थे.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि पता चला है कि भारत में हमारे आकार, आनुवांशिक विविधता और जटिलता से वायरस को अनुकूल माहौल मिलता है जिससे वह स्वरूप बदलकर अधिक ख़तरनाक रूप में सामने आता है. मुझे डर है कि जिस ‘डबल’ और ‘ट्रिपल म्यूटेंट’ को हम देख रहे हैं, वह शुरुआत भर हो सकती है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर अपनी ज़िम्मेदारियों और कर्तव्यों से पल्ला झाड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में कोविड संक्रमण के हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए, जिससे महामारी से बेहतर ढंग से निपटने के लिए क़दम उठाना और जवाबदेही तय करना सुनिश्चित हो सके.
बीते चार दिनों में गुजरात के दो गांवों में ‘कोविड-19 ख़त्म करने’ के लिए धार्मिक जुलूस निकालने के आरोप में पुलिस ने 69 लोगों को गिरफ़्तार किया है. पुलिस ने कहा कि गांव के लोगों के एक वर्ग का मानना था कि उनके स्थानीय देवता के मंदिर पर पानी डालने से कोविड-19 का ख़ात्मा हो सकता है.
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि यह सच है कि राज्य सरकार द्वारा क़दम उठाए गए हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह पर्याप्त नहीं है और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आगे भी जनता को महामारी के गंभीर प्रभाव के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है. वर्तमान परिस्थितियों में और अधिक प्रतिबंध लगाने के बारे में सोचा जा सकता है.
गुजरात हाईकोर्ट ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के राज्य सरकार के तरीके पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि डॉक्टरों के मरीज़ों को नहीं देखने के कारण अस्पतालों के बाहर संक्रमितों की मौत हो रही है. हाईकोर्ट ने अहमदाबाद में निर्धारित कोविड-19 अस्पतालों पर सवाल उठाया, जो केवल ‘108’ एंबुलेंस में आने वाले मरीज़ों को ही भर्ती कर रहे थे और निजी वाहनों में लाए गए मरीज़ों की अनदेखी कर रहे थे.
गुजरात हाईकोर्ट की पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि शिकायतें आ रही हैं कि मरीज़ों को भर्ती नहीं किया जा रहा है, क्योंकि अस्पतालों में जगह नहीं हैं. बेड उपलब्ध नहीं हैं. आपने जो आंकड़ा दिया है, अगर ये सही है तब लोग इधर-उधर क्यों चक्कर काट रहे हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए फंड का का इंतज़ाम करना एक राष्ट्रीय समस्या है. ऐसे समय में, ख़ासकर जब देश की अर्थव्यवस्था बाकी कई देशों के मुक़ाबले अधिक ख़राब है, तब केंद्र और राज्यों का क़र्ज़ लेने को लेकर उलझना अनुचित है.