साल 2010 में उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर ज़िले के बखिरा थाने में मेहदावल से भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल के ख़िलाफ़ एक केस दर्ज हुआ था. विधायक के अदालत में हाज़िर न होने से बीते नौ सालों से यह मामला लंबित था. इस बार अदालत ने जब उन्हें हाज़िर होने को कहा, तब उन्होंने सीएमओ की मदद से कोरोना संक्रमित होने के फ़र्ज़ी दस्तावेज़ ज़मा करवा दिए.
कुछ दशक पहले तक गोरखपुर और इसके आस-पास के क्षेत्र की पहचान बुनकरों के बनाए कपड़ों से होती थी, लेकिन हथकरघों के बंद होने के बाद पावरलूम के ख़र्च न उठा सकने के चलते कइयों ने यह काम छोड़ दिया. अब लॉकडाउन के दौरान हाल यह है कि पावरलूमों पर पूरी तरह ताला लगा हुआ है और दिहाड़ी कारीगर फ़ाक़ाकशी को मजबूर हैं.
बनारस और आसपास के ज़िलों के बुनकरों की गाहे-ब-गाहे चर्चा भी हो जाती है, लेकिन गोरखपुर, खलीलाबाद क्षेत्र के बुनकरों पर तो अब चर्चा भी नहीं होती. ऐसा उद्योग जिसमें लाखों लोगों को रोज़गार मिलता था, अब लगभग ख़त्म होने को है.
बढ़ती धार्मिक कुरीति और कट्टरता के दौर में भी कबीर होते तो यही कहते कि ‘मोको कहां ढूढ़ें बंदे, मैं तो तेरे पास में. न मैं देवल, न मैं मस्जिद, न काबे कैलास में...'