झारखंड में हुई हालिया हत्याओं को पत्थलगड़ी आंदोलन से जोड़ना कितना सही है?

बीते जनवरी में राज्य में हुई सात लोगों की हत्या को पुलिस और सीआरपीएफ ने पत्थलगड़ी से जुड़ा बताया था, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि यह एक नए पंथ सती पति से जुड़े लोगों द्वारा सरकारी योजनाओं का लाभ न लेने, आदिवासी परंपराओं को न मानने देने, कागज़ात जमा करने के विरोध में हुए मतभेदों का नतीजा है.

खूंटी सामूहिक बलात्कार मामले में फादर अल्फोंसो सहित सभी छह दोषियों को उम्रक़ैद की सज़ा

पिछले साल विस्थापन एवं मानव तस्करी के विरूद्ध जागरूकता फैलाने के अभियान के तहत पांच महिलाएं झारखंड के खूंटी ज़िले के कोचांग गांव गई थीं. आरसी मिशन स्कूल से उनका अपहरण कर उनके सामूहिक बलात्कार किया गया था.

झारखंड: सामाजिक कार्यकर्ताओं से गैंगरेप मामले में मिशनरी स्कूल के प्रमुख सहित छह दोषी क़रार

पिछले साल जून में विस्थापन एवं मानव तस्करी के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के अभियान के तहत पांच महिलाएं खूंटी ज़िले के कोचांग गांव गई थीं. उनका आरसी मिशन स्कूल से कथित तौर पर अपहरण कर सामूहिक बलात्कार किया गया था. मामले में 15 मई को सज़ा सुनाई जाएगी.

देश की आज़ादी से भी पुरानी हैं चुनावी हिंसा की जड़ें

चुनावी बातें: चुनाव में होने वाली हिंसा की नींव आज़ादी से पहले ही पड़ चुकी थी. झारखंड (तत्कालीन बिहार) में मार्च 1946 में हिंसक तत्वों ने संविधान सभा के प्रतिनिधि के चुनाव को भी स्वतंत्र व निष्पक्ष नहीं रहने दिया था.

झारखंडः क्या ईसाई संगठनों पर दमनकारी रवैया अपना रही सरकार?

झारखंड में ईसाई संगठन और चर्च राज्य सरकार के रवैये पर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. जबकि कुछ घटनाओं को केंद्र में रखकर भाजपा तथा आरएसएस-विहिप भी मिशनरी संस्थाओं पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है.

पत्थलगड़ी आंदोलन: फादर स्टेन स्वामी, कांग्रेस के पूर्व विधायक समेत 20 पर राजद्रोह​ का मामला दर्ज

पत्थलगड़ी मामले में झारखंड पुलिस ने विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के संस्थापक फादर स्टेन स्वामी और कांग्रेस के पूर्व विधायक थियोडोर किड़ो पर राजद्रोह​ का मामला दर्ज करते हुए आरोप लगाया कि ये लोग ग्रामीणों को गुमराह करके देश विरोधी गतिविधियों के लिए बाध्य कर रहे हैं.

झारखंड से ग्राउंड रिपोर्ट: ‘अब बिरसा न परदेस जाएगा और न ही किसी पत्थलगड़ी सभा में’

झारखंड के खूंटी ज़िले के घाघरा में गत 27 जून को पत्थलगड़ी के दौरान हुई झड़प में आदिवासी बिरसा मुंडा की मौत हो गई थी. इसके बाद भाजपा सांसद करिया मुंडा के तीन सुरक्षाकर्मियों का अपहरण पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा कर लिया गया था.

खूंटी में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं से गैंगरेप की घटना पूर्व नियोजित: महिला आयोग

बीते 19 जून को पांच युवतियां विस्थापन एवं मानव तस्करी के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के अभियान के तहत झारखंड के खूंटी ज़िले के कोचांग गांव गई हुई थीं. स्कूल से अगवाकर उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था.

ग्राउंड रिपोर्ट: कोचांग गांव का आंखों देखा हाल, जहां पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ गैंगरेप हुआ

झारखंड के खूंटी ज़िले के कोचांग गांव में पिछले दिनों मानव तस्करी के ख़िलाफ़ जागरूकता फैलाने गईं पांच युवतियों को अगवाकर गैंगरेप ​किया गया था.

झारखंड: पुलिस और पत्थलगड़ी समर्थकों में हिंसक झड़प, भाजपा सांसद के घर हमला, तीन जवान अगवा

झारखंड के खूंटी ज़िले के अनिगड़ा में हुई झड़प. पत्थलगड़ी आंदोलन रोकने और इसके नेता यूसुफ पूर्ति को गिरफ़्तार करने जा रही थी पुलिस. आंदोलन से जुड़े नेता यूसुफ पूर्ति का घर कुर्क.

झारखंड सामूहिक बलात्कार: अख़बारी सच गले नहीं उतर रहा

ख़बरों के मुताबिक झारखंड पुलिस ने खूंटी ज़िले में पांच महिलाओं के साथ गैैंगरेप मामले में प्राथमिकी दर्ज होने की जो प्रक्रिया बताई वो थोड़ी उलझी हुई है.

झारखंड: मानव तस्करी के ख़िलाफ़ जागरूकता फैला रहीं पांच युवतियों को अगवाकर गैंगरेप

झारखंड के खूंटी ज़िले के कोचांग गांव का मामला. गांव के मिशन स्कूल में मानव तस्करी के ख़िलाफ़ जागरूकता फैलाने के लिए नुक्कड़ नाटक करने गई थीं युवतियां.

पत्थलगड़ी आंदोलन के बाद झारखंड में आदिवासियों ने शुरू किया अपना बैंक

झारखंड के खूंटी ज़िले के उदबुरु गांव में ‘बैंक आॅफ ग्रामसभा’ का शिलान्यास कर 100 ग्रामीणों का खाता खोला गया. गृह विभाग के प्रधान सचिव ने बैंक को ग़ैरक़ानूनी बताया.

पत्थलगड़ी आंदोलन से भाजपा सरकारें क्यों डरी हुई हैं?

पत्थलगड़ी आंदोलन के रूप में जनता द्वारा अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रभावी इस्तेमाल ने कई ऐसे सवाल उठाए हैं, जिनका जवाब देना सरकारों के लिए मुश्किल हो गया है.

पत्थलगड़ी आंदोलन का उभार राजभवनों की निष्क्रियता का परिणाम है

कुछेक अपवाद छोड़ दिए जाएं तो संविधान लागू होने के बाद से आज तक किसी भी राज्य के राज्यपाल ने पांचवीं अनुसूची के तहत मिले अपने अधिकारों और दायित्वों का निर्वहन आदिवासियों के पक्ष में करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है.