गाय की राजनीति में उलझा पूरा देश, सरकारें, कोर्ट और जनता दो ​धड़ों में बंटी

गाय और अन्य जानवरों के वध के लिए ख़रीद-फ़रोख़्त पर केंद्र सरकार के आदेश पर तीन अदालतों ने तीन तरह का आदेश दिया है तो राज्य सरकारों ने कड़ा विरोध जताया है.

लोग गाय माता की सेवा करते-करते ख़ुद भेड़िये बन गए हैं

वह कैसी सोच है जिसे पूरी दुनिया में केवल एक गाय ही रक्षा करने योग्य लगती है. सड़क के किनारे सोया थका-हारा मज़दूर नहीं, पुल के नीचे मिट्टी में पलते दुर्बल बच्चे नहीं, अस्पतालों के बाहर बैठे रोगी नहीं.

गाय के लिए एम्बुलेंस के दौर में क़रीब 3,700 बच्चे रोज़ डायरिया और कुपोषण से मरते हैं

वर्तमान सरकार गाय को लेकर आवश्यकता से ज़्यादा चिंतित होने का दिखावा कर रही है, लेकिन वहीं हर साल डायरिया-कुपोषण से मरने वाले लाखों बच्चों को लेकर सरकार आपराधिक रूप से निष्क्रिय है.

उज्जैन में स्वयंभू गोरक्षकों ने गाय की पूंछ काटने के आरोप में युवक को बेरहमी से पीटा

कथित गोरक्षकों का आरोप है कि युवक गाय की ख़रीद-फरोख़्त से जुड़ा है, इसलिए उसे पीटा गया, वहीं पुलिस इसे पैसों के लेन-देन का मामला बता रही है.

वीडियो: मुसलमानों को नकारात्मक वोटिंग से बचना चाहिए: मौलाना वहीदुद्दीन ख़ान

तीन तलाक़, गोरक्षा, समान नागरिक संहिता समेत दूसरे तमाम मसलों पर इस्लामिक विद्वान, लेखक और पीस एक्टिविस्ट मौलाना वहीदुद्दीन ख़ान से द वायर की ख़ास बातचीत.

बीफ वीडियो पर काजोल का सफाई देना इस डरावने दौर का सबूत है

हिंदुस्तान में जो व्यक्ति जितना ज़्यादा ताकतवर और प्रसिद्ध है, उसके सत्ता के पक्ष में बयान देने की संभावना उतनी ज़्यादा रहती है. चाहे वे फिल्म स्टार हों या बिज़नेसमैन, सभी ने सत्तारूढ़ दल के साथ खड़े होने की अपनी वजहें तलाश ली हैं.

एक बछड़े की मौत, एक घायल मुसलमान

देश के सांप्रदायिक पागलपन के माहौल में एक मुसलमान के ऊपर गाय के बछड़े का गिर जाना एक घटना तो है ही, एक बिंब,एक फैंटसी और एक प्रतीक भी है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 41: सुकमा नक्सल हमला और गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी

जन गण मन की बात की 41वीं कड़ी में विनोद दुआ छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले और गोरक्षा के नाम पर चल रही गुंडागर्दी पर चर्चा कर रहे हैं.

जम्मू में खानाबदोशों पर पुलिस की मौजूदगी में बर्बर ​हमले का कथित वीडियो सामने आया

जम्मू में गोरक्षा के नाम पर खानाबदोश लोगों पर हमले का कथित वीडियो सामने आया है. भीड़ नारा लगाते हुए लोगों को बर्बरतापूर्वक पीटते देखी जा सकती है.

पहलू ख़ान के गांव से ग्राउंड रिपोर्ट: मेरा क़सूर बस ये था कि मैं, मैं था!

हम सब मौत से वाक़िफ़ हैं. अपने अजीज़ लोगों को खोने की तकलीफ हम सबने सही है. हमने न भरे जा सकने वाले खालीपन को महसूस किया है. लेकिन इस मौत का एहसास अलग है. यह एक बेक़सूर की मौत है. यह नफ़रत से हुई मौत है. आप इसे जयसिंहपुर में देख सकते हैं.

उत्तर प्रदेश में मीट के ख़िलाफ़ भाजपा के अभियान का सच

पूरे उत्तर प्रदेश में तथाकथित ‘अवैध बूचड़खाने’ वास्तव में सार्वजनिक म्युनिसिपल बूचड़चाने हैं, जो भीषण उपेक्षा के कारण बदहाली का शिकार हैं.

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