आशा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 महामारी के दौरान फ्रंटलाइन पर काम करने के बावजूद उनका बकाया भुगतान और सुरक्षा उपकरण नहीं मिल रहा है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और राज्यों के मुख्य सचिवों को छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.