चुनावों को रस्म अदायगी बनने से रोकना है तो उनकी निष्पक्षता व स्वतंत्रता की हर हाल में रक्षा करना जरूरी है. यह भी समझना होगा कि चुनाव सुधारों के संबंध में समूचे विपक्ष का अगंभीर, नैतिकताहीन रवैया ऐसी स्थिति लाने में सत्ताधीशों की मदद ही करेगा.
भाजपा ने ग्राम पंचायत की सभी 6,111 सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा है. इसमें से 5,278 सीटों पर किसी अन्य पार्टी के उम्मीदवार द्वारा पर्चा दाखिल नहीं करने की वजह से पार्टी ने इन सीटों पर निर्विरोध जीत दर्ज की.
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बीते दो वित्त वर्षों में राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट से मिलने वाले चंदे में 160 फीसदी का वृद्धि हुई है. साथ ही चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों द्वारा दानकर्ताओं के पैन कार्ड समेत कई अनिवार्य जानकारियां नहीं दी गईं.
वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में लोकसभा चुनावों के लिए 1000 करोड़ रुपये चिह्नित किए गए हैं. वहीं, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आम चुनाव के ख़र्च पर केंद्र सरकार की ओर से सहायता के लिए 339.54 करोड़ रुपये चिह्नित किए गए हैं.
साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दुर्गा खाटीवाड़ा और असम आंदोलन की पहली महिला शहीद बजयंती देवी के परिवार के सदस्यों को असम एनआरसी के पूर्ण मसौदे से बाहर कर दिया गया है.
विदेशियों के न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने 2016 में न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित की गई मधुमाला दास की जगह मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया था.
नई निष्कासन सूची में जिन लोगों के नाम शामिल हैं ये वो लोग हैं जिनके नाम पिछले साल 30 जुलाई को जारी एनआरसी के मसौदे में शामिल थे, लेकिन बाद में वे इसके योग्य नहीं पाए गए.
गुजरात से राज्यसभा की ये सीटें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गांधीनगर और स्मृति ईरानी के अमेठी लोकसभा सीट से निर्वाचित होने की वजह से खाली हुई हैं. कांग्रेस का कहना था कि दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराने से भाजपा दोनों पर जीत हासिल कर लेगी.
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाने वाली शिकायतों पर किए गए फैसलों पर चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने असहमति व्यक्त की थी.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, एक मार्च 2018 से 24 जनवरी 2019 के बीच कुल 1,407.09 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए, जबकि एक मार्च से 10 मई 2019 तक कुल 4,444.32 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए.
चुनावी ख़र्च पर आई सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज़ की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 20 सालों में 1998 से 2019 तक हुए लोकसभा चुनावों में हुआ व्यय छह गुना बढ़ा. इस साल के आम चुनाव में औसतन प्रत्येक लोकसभा सीट पर लगभग 100 करोड़ रुपये ख़र्च किए गए.
मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में 2004 में आम चुनाव कराने वाले टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा कि कॉरपोरेट चंदे के माध्यम से धन जुटाने का अपारदर्शी तरीका चिंता पैदा करने वाला है.
चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक की याचिका की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दलों से चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे और इसके दाताओं की सूची 30 मई तक सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को सौंपने को कहा था.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने कहा कि सामान्य तौर पर मीडिया की भूमिका सरकार से सवाल पूछने की होती है. लेकिन यहां पर मीडिया ने केवल विपक्ष से सवाल पूछा. विपक्षी पार्टियों से सवाल पूछा गया कि उन्होंने 50 साल पहले कुछ क्यों नहीं किया? क्या मीडिया को यही करना होता है?
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने कहा कि मतपत्र की ओर वापस लौटने का कोई सवाल नहीं है. ईवीएम प्रणाली समाप्त करने की बजाय, इन मशीनों में सुधार की संभावना तलाशी जानी चाहिए.