पहले भी सामाजिक कार्यकर्ताओं की हत्या की जाती थी. इनकी हत्या में सत्ताधारी सांसद और पुलिस अधिकारी भी शामिल होते थे. लेकिन पहले यह सब चुपचाप होता था. अब नया राजनीतिक माहौल ऐसा है कि अपराधी अपनी मंशाएं खुलेआम ज़ाहिर कर सकते हैं.
सीपीआई नेता को पुलिस ने 15 दिन तक कोर्ट में पेश नहीं किया, पत्नी ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई तो पुलिस याचिका वापस लेने का दबाव बना रही है.
अक्षय कुमार और विवेक ओबरॉय छत्तीसगढ़ में सैनिकों के परिवारों की मदद के लिए आगे आए हैं, उम्मीद है कि वे आदिवासी महिलाओं से होने वाली ज़्यादती से भी वाकिफ़ होंगे.
अवैध खनन माफिया और नक्सलियों के बीच एक साझेदारी है- दोनों ही चाहते हैं कि छतीसगढ़ के जो ज़िले पिछड़े और दूरस्थ हैं, वे वैसे ही बने रहें क्योंकि इनके ऐसे बने रहने में ही इनका फायदा है.
छत्तीसगढ़ में फेसबुक पोस्ट पर निलंबित की जाने वाली जेल अधिकारी वर्षा का कहना है कि उन्होंने सीबीआई, सुप्रीम कोर्ट और सरकार के दस्तावेजों के हवाले से ही सब कुछ लिखा था.
सहायक जेल अधीक्षक वर्षा डोंगरे ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में राज्य के आदिवासियों की स्थिति, मानवाधिकार हनन और नक्सल समस्या को लेकर सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए थे.
‘मैंने स्वयं बस्तर में 14 से 16 वर्ष की आदिवासी बच्चियों को देखा है, जिनको थाने में नग्न कर प्रताड़ित किया गया था, उनकी कलाइयों और स्तनों पर करंट लगाया गया था.’
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष के मुताबिक, इस फर्ज़ी ख़बर के बाद जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को हत्या और बलात्कार की धमकियां मिल रही हैं.
मीडिया में चल रहे इस आॅडियो क्लिप को कथित रूप से माओवादियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ऑफ सीपीआई (माओवादी) द्वारा जारी बताया जा रहा है.
राज्य के करदाना गांव में सरकार ने उन लोगों की पेंशन रोक दी है, जिन्होंने अब तक बैंक में आधार कार्ड नहीं जमा किया है. यह न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मिलने वाले जीने के अधिकार की अवहेलना भी है.
बस्तर में चलने वाले नक्सल राज की खूनी कहानी हर गांव में आपको सुनने को मिलेगी. बंदूक और हिंसा की राजनीति का नतीजा यह हुआ है कि शांतिपूर्ण जीवन के आदी आदिवासियों का जीवन बिखर चुका है.
जन गण मन की बात की 41वीं कड़ी में विनोद दुआ छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले और गोरक्षा के नाम पर चल रही गुंडागर्दी पर चर्चा कर रहे हैं.
2006 में लागू वन अधिकार क़ानून कहता है कि जो ज़मीनें आज़ादी के पहले सामुदायिक अधिकारों के लिए थीं, वो यथावत बनी रहेंगी. लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 90 लाख हेक्टेयर ऐसी ज़मीनों पर सरकार का क़ब्ज़ा है.
छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में नक्सलियों के हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 25 जवानों की मौत हो गई, जबकि छह जवान घायल बताए जा रहे हैं.
सोनी सोनी को जेल में प्रताड़ित करने और 2009 में एक क़त्लेआम के ख़िलाफ़ दोनों कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका.