23 जून को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में डीएसपी अयूब पंडित की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.
दशकों से उत्तर-पूर्व और कश्मीर के मीडिया संस्थान अपनी आज़ादी की लड़ाई राष्ट्रीय मीडिया के समर्थन के बगैर लड़ रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने कर्मचारियों के लिए जारी की एडवायजरी.
श्रीनगर के नौहट्टा में मस्जिद के बाहर पुलिस अधिकारी की पत्थर मार-मारकर हत्या के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया.
‘बचपन में मुझे भी मानव ढाल के बतौर इस्तेमाल किया गया था. मैं आज तक इस बोझ के साथ जी रहा हूं; पर आज मुझे लगता है कि इस बारे में बात करने की ज़रूरत है.’
पिछले महीने बड़गाम में उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजों से बचने के लिए सेना ने अपनी जीप के आगे एक शख़्स को मानव ढाल के तौर पर बांध दिया था.
सरकार भले ही ये दावा करे कि आतंकी घटनाओं में कमी आई है, लेकिन एक आरटीआई के मुताबिक देश में हर दूसरे दिन एक आतंकी वारदात को अंजाम दिया गया है.
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक का कहना है कि वर्तमान सरकार कश्मीरियों की एक पूरी पीढ़ी को सशस्त्र संघर्ष के लिए मजबूर कर रही है.
कश्मीर में साल 1990 से लेकर 9 अप्रैल 2017 तक की अवधि में मौत के शिकार हुए लोगों में स्थानीय नागरिक, सुरक्षा बल के जवान और आतंकवादी शामिल हैं.
उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में हुए इस हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में सेना ने दो आतंकी मार गिराए हैं.
कश्मीर के मामले में मोदी सरकार ने न तो पहले की सरकारों की विफलताओं से कोई सबक लिया और न ही कामयाबियों से.
जम्मू में गोरक्षा के नाम पर खानाबदोश लोगों पर हमले का कथित वीडियो सामने आया है. भीड़ नारा लगाते हुए लोगों को बर्बरतापूर्वक पीटते देखी जा सकती है.
कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर बसीर अहमद खान ने राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों को संवेदनशीलता के पैमाने पर वर्गीकृत करने का निर्देश दिया.
रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा ने ट्विटर पर कश्मीरी युवक को जीप पर बांधने को भी सही ठहराया. चोपड़ा सैन्य बल न्यायाधिकरण के सदस्य हैं, जहां कोर्ट मार्शल की अपील की सुनवाई भी होती है. उनका इस तरह के ट्वीट करना उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.
जन गण मन की बात की 36वीं कड़ी में विनोद दुआ कश्मीर घाटी में तनावपूर्ण माहौल और धार्मिक असहिष्णुता को लेकर आई एक वैश्विक रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे हैं.