बीते दिनों आरटीआई के तहत मिली जानकारी में सामने आया था कि साल 2013 से लेकर 2017 के बीच स्कूल के 49 बच्चों ने आत्महत्या की, जिनमें से आधे दलित और आदिवासी थे. मानवाधिकार आयोग ने एचआरडी मंत्रालय को भेजा था नोटिस.
सबसे ज़्यादा 14 बच्चों ने साल 2017 में आत्महत्या की है. बताया जा रहा है कि एकतरफा प्यार, घर की समस्याएं, शारीरिक दंड, शिक्षकों द्वारा अपमान, पढ़ाई का दबाव, डिप्रेशन और दोस्तों के बीच लड़ाई आत्महत्या के मुख्य कारण हैं.