ट्विटर पर की गई दो टिप्पणियों के लिए अवमानना के दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार का समय दिया था. भूषण ने अपने पूरक बयान में कहा है कि यदि वे अपने उन बयानों, जो उनके विचार में सही हैं, को वापस लेंगे या माफ़ी मांगेंगे, तो यह उनकी अंतरात्मा को गवारा नहीं होगा.
अभिनेत्री स्वरा भास्कर पर बाबरी-रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर ‘अपमानजनक’ बयान देने के आरोप में अवमानना की कार्यवाही की मांग की गई थी. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इससे इनकार करते हुए कहा कि स्वरा के बयान तथ्यात्मक लगते हैं और ये उनकी अपनी सोच हो सकती है.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराए के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा कि इससे पता चलता है कि लोकतंत्र का यह स्तंभ इतना खोखला हो चुका है कि महज़ दो ट्वीट से इसकी नींव हिल सकती है.
बीते 14 अगस्त को अवमानना के दोषी ठहराए गए प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने बयान में कहा कि उन्हें दुख है कि जिस अदालत की महिमा क़ायम रखने के लिए वे तीन दशकों से काम करते आ रहे हैं, उन्हें उसी की अवमानना का दोषी माना गया है. कोर्ट ने भूषण को अपने बयान पर 2-3 दिन पुनर्विचार कर जवाब देने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि भारत के संविधान की व्याख्या पर क़ानून के मूलभूत सवालों के मद्देनज़र और इसके मौलिक अधिकारों पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को ध्यान में रखते हुए इन विषयों को संविधान पीठ द्वारा सुना जाना चाहिए.
देश भर के क़रीब डेढ़ हज़ार वकीलों ने अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रशांत भूषण को दोषी ठहराए जाने पर कहा कि अवमानना का डर दिखाकर यदि वकीलों को चुप कराया जाता है, तो इससे कोर्ट की ताकत और स्वतंत्रता प्रभावित होगी.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ चल रहे साल 2009 के अवमानना मामले के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ सवाल तय किए हैं. भूषण की ओर से पेश हुए वकील ने कहा है कि जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से अवमानना का मामला नहीं बनता है.
प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और सुप्रीम कोर्ट को लेकर दो ट्वीट किए थे, जिसे लेकर अवमानना कार्यवाही चल रही थी. सुप्रीम कोर्ट 20 अगस्त को सज़ा पर सुनवाई करेगा और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की दलीलों को सुनेगा.
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और कार्यकर्ता एवं वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दायर कर अदालत की अवमानना क़ानून, 1971 को चुनौती दी थी और कहा था कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समानता के अधिकार का उल्लंघन है.
हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के ज़रिये पिता की संपत्ति में बेटी को बराबर का हिस्सा देने का अधिकार दिया गया था. हालांकि इसे लेकर एक विवाद यह था कि यदि पिता का निधन साल 2005 के पहले हो गया है तो यह क़ानून बेटियों पर लागू होगा या नहीं. इसे लेकर कई याचिकाएं दायर की गई थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के साल 2009 के अवमानना मामले की वह विस्तृत सुनवाई करेगा. प्रशांत भूषण पर एक अन्य अवमानना मामला चल रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनके दो ट्वीट के कारण न्यायपालिका का अपमान हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और कार्यकर्ता एवं वकील प्रशांत भूषण की तरफ से दायर याचिका के संबंध में अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है कि इस मामले को जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ के सामने क्यों सूचीबद्ध नहीं किया गया?
प्रशांत भूषण के ट्वीट्स पर अदालत की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है. भूषण ने अदालत में अपने बचाव में कहा कि उनके ट्वीट न्यायाधीशों के ख़िलाफ़ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और इससे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं होती है.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा 2009 में तहलका मैगज़ीन को दिए साक्षात्कार में सुप्रीम कोर्ट के जजों के ख़िलाफ़ ग़लत टिप्पणी करने का आरोप है, जिसके लिए शीर्ष अदालत ने उन्हें और पत्रिका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल को माफ़ीनामा जारी करने को कहा था
शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के ट्वीट्स को लेकर उन्हें अवमानना का नोटिस जारी किया था. भूषण ने इसके जवाब में दिए हलफनामे में कहा कि सीजेआई को सुप्रीम कोर्ट मान लेना और कोर्ट को सीजेआई मान लेना भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संस्था को कमज़ोर करना है.