अक्षय कुमार की फिल्म ‘खिलाड़ी’ और शाहरुख खान की फिल्म ‘बादशाह’ के अलावा दिनयार कॉन्ट्रैक्टर फिल्म ‘चोरी-चोरी चुपके-चुपके’, ‘दरार’ और ‘36 चाइना टाउन’ में नज़र आ चुके थे. इस साल जनवरी में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
हबीब तनवीर की जितनी थियेटर पर पकड़ थी, उतनी ही मज़बूत पकड़ समाज, सत्ता और राजनीति पर थी. वे रंगमंच को एक पॉलिटिकल टूल मानते थे. उनका कहना था कि समाज और सत्ता से कटकर किसी क्षेत्र को नहीं देखा जा सकता.
महाराष्ट्र के सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्सों में बाहर का खाना ले जाने की मनाही के नियम को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.
तमिलनाडु में थियेटर मालिकों को 28 प्रतिशत जीएसटी के अलावा 30 प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स देना पड़ रहा है.
गोरखपुर में एक अदद प्रेक्षागृह के लिए पिछले 24 वर्षों से अनूठे किस्म का रंग आंदोलन चलाया जा रहा था. 1258 नाटकों के बाद रंगाश्रम का यह रंग आंदोलन ख़त्म हो गया.