एक लड़की का अश्लील वीडियो बनाकर शारीरिक संबंध बनाने के लिए ब्लैकमेल करने के एक मामले में आरोपी को ज़मानत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की. एफ़आईआर के मुताबिक, घटना 2016 की है और इस संबंध में पीड़िता ने साल 2019 में शिकायत दर्ज कराई थी.
गौतम नवलखा ने मांग की थी कि चार्जशीट दायर करने की समयमीमा में साल 2018 में उनकी 34 दिनों की ग़ैर क़ानूनी हिरासत को भी शामिल किया जाना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया.
कोरोना की दूसरी लहर के बीच दिल्ली के कोविड केंद्रों पर स्वास्थ्यकर्मियों की कमी की ओर इशारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब चुनाव आते हैं तो हर अख़बार में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिखाई देता है लेकिन अब चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों की ज़रूरत को लेकर प्रमुख अख़बारों में कोई विज्ञापन नहीं है.
बीते 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह से केंद्र सरकार की वर्तमान वैक्सीन नीति को बनाया गया है, इससे प्रथमदृष्टया जनता के स्वास्थ्य के अधिकार को क्षति पहुंचेगी, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न तत्व है. सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों द्वारा अलग-अलग कीमत तय करने के संबंध में केंद्र से जानकारी मांगी थी.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर कहा था कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने का आदेश पारित किया है. इससे तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन के आपूर्ति नेटवर्क व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और यह व्यवस्था पूरी तरह से ढह जाएगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्नाटक के लोगों को लड़खड़ाते हुए नहीं छोड़ा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित यह टास्क फोर्स कोविड-19 के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं के तर्कसंगत और समान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उपाय सुझाएगा और महामारी के कारण सामने आईं अन्य चुनौतियों को पूरा करने के लिए सदस्यों के वैज्ञानिक और विशेष ज्ञान के आधार पर इनपुट देगा. अदालत ने केंद्र और राज्यों से इसे सहयोग करने के लिए कहा है.
राष्ट्रीय राजधानी को ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले को सुन रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि केंद्र को अदालत के अगले आदेश तक रोज़ाना दिल्ली को 700 मीट्रिक टन तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करनी है. ऐसा न हो कि एक दिन के लिए आपूर्ति हुई और फिर 'टैंकर नहीं हैं' और परिवहन में दिक्कतें हैं, जैसे कई विरोध-पत्र दायर किए जाएं.
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा केंद्र सरकार के अधिकारियों के ख़िलाफ़ शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को जेल में डालने से ऑक्सीजन दिल्ली नहीं आने वाली है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र द्वारा दिल्ली में ऑक्सीजन आपूर्ति के आदेश को अमल में न लाने का कारण बताने को कहते हुए कहा आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छिपा सकते हैं, हम ऐसा नहीं करेंगे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी में चल रहे ऑक्सीजन संकट को लेकर एक बार फिर केंद्र की खिंचाई की और कहा कि ऑक्सीजन वितरण का काम केंद्र से बेहतर तो आईआईटी और आईआईएम कर लेंगे. अदालत ने यह भी जानने की कोशिश की कि देश भर में कोविड-19 संकट से निपटने के लिए सेना को तैनात करने के लिए केंद्र की क्या योजनाएं हैं.
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया कि वह दो हफ़्ते के भीतर अस्पताल में मरीज़ों को भर्ती करने की राष्ट्रीय नीति बनाए. इधर, हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि कोविड-19 संबंधी दवाएं और उपकरण आदि अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से ज़्यादा पर न बेचे जाएं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि विभिन्न वर्गों के नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है, जो समान हालात का सामना कर रहे हैं. केंद्र सरकार 45 साल और उससे अधिक उम्र की आबादी के लिए मुफ़्ते कोविड टीके प्रदान करने का भार वहन करेगी, राज्य सरकारें 18 से 44 आयु वर्ग की ज़िम्मेदारी का निर्वहन करेंगी, ऐसी शर्तों पर बातचीत कर सकते हैं. केंद्र को अपनी मौजूदा टीका नीति पर फिर से ग़ौर करना चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत 13 दलों के नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि केंद्र सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें.
कोविड-19 प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए स्वत: संज्ञान मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर लोगों से मदद के आह्वान सहित सूचना के स्वतंत्र प्रवाह को रोकने के किसी भी प्रयास को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा.
ग़ैर सरकारी संगठन ‘सोशल विजिलेंस टीम’ द्वारा अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल की कथित आत्महत्या की सीबीआई जांच की मांग को ख़ारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का मृतक से कोई संबंध नहीं है.