पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) द्वारा दुग्ध उत्पादक कंपनी अमूल को वीगन मिल्क यानी पौधों से बनाए जाने वाले दूध के उत्पादन पर विचार करने का सुझाव दिया गया है. अमूल की ओर से कहा गया है कि पेटा भारतीय डेयरी उद्योग की छवि को धूमिल कर 10 करोड़ लोगों की आजीविका को बर्बाद करने का प्रयास कर रहा है.
जम्मू के दूध उत्पादक गुज्जर समुदाय का कहना है कि दिल्ली में हुए तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल कई लोगों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद से उन्हें इससे जोड़कर 'नफ़रत भरा अभियान' चलाते हुए कहा गया कि वे संक्रमण ला रहे हैं इसलिए उनसे दूध न खरीदा जाए.
देश में जल्दी ख़राब होने वाले कुल कृषि उत्पादों के 11 प्रतिशत का ही भंडारण हो पाता है, 440 अरब रुपये की क़ीमत के उत्पाद होते हैं बर्बाद.