कुलदीप नैयर का जाना पत्रकारिता में सन्नाटे की ख़बर है. छापे की दुनिया में वे सदा मुखर आवाज़ रहे.
आपातकाल के दौरान इसका विरोध करने की वजह से जेल गए. तकरीबन 15 किताबें लिखने वाले कुलदीप नैयर तमाम प्रतिष्ठित अख़बारों के संपादक रह चुके थे.
पुस्तक अंश: 'मैं मरने के लिए एक शांत जगह तलाश रहा था. किसी ने सुझाया ब्रुकलिन, और अगली सुबह यहां चला आया.'