स्वीडन के इस इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में भाजपा और नरेंद्र मोदी की जीत के बाद से देश का लोकतांत्रिक स्वरूप काफी कमज़ोर हुआ है और अब ये ‘तानाशाही’ की स्थिति में आ गया है.
लोकतंत्र निगरानी संस्था ‘फ्रीडम हाउस’ की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता में गिरावट 2019 में नरेंद्र मोदी के दोबारा चुने जाने के बाद ही तेज़ हो गई थी और न्यायिक स्वतंत्रता भी दबाव में आ गई थी. इस पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को ‘उपदेशों’ की जरूरत नहीं है.
अमेरिकी सरकार के थिंक टैंक फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता में गिरावट 2019 में नरेंद्र मोदी के दोबारा चुने जाने के बाद ही तेज़ हो गई थी और न्यायिक स्वतंत्रता भी दबाव में आ गई थी.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के पत्र के जवाब में कहा कि धार्मिक आज़ादी से जुड़े मुद्दों के सिलसिले में अमेरिकी आयोग का दल भारत आना चाहता था, लेकिन उन्हें वीज़ा देने से भी मना किया गया क्योंकि उन जैसी विदेशी संस्था का भारतीय नागरिकों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों पर बोलने का कोई अधिकार-क्षेत्र हमें नज़र नहीं आता.
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि 2019 में पाकिस्तान का मानवाधिकार के मामलों में रिकॉर्ड ‘बेहद चिंताजनक’ रहा, जिसमें राजनीतिक विरोध के सुर पर व्यवस्थित तरीके से लगाम लगाने के साथ ही मीडिया की आवाज भी दबाई गई.
विश्वभर में में धार्मिक स्वतंत्रता की निगरानी का ज़िम्मा संभाल रहे अमेरिकी आयोग ने भारत को ‘खास चिंता वाले देशों’ की सूची में डालने की सिफ़ारिश करते हुए कहा है कि देश में धार्मिक आज़ादी की दशा में बड़ी गिरावट आई है. भारत ने आयोग की आलोचनाओं को पूर्वाग्रह से ग्रसित और पक्षपातपूर्ण कहा है.
ब्रिटिश सिख लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने कहा कि दिल्ली की हिंसा ने 1984 के सिख विरोधी दंगों की दुखद यादों को ताजा कर दिया है, जब वह भारत में पढ़ रहे थे और उनकी साथी सांसद प्रीत कौर गिल ने भी 1984 दंगों का संदर्भ दिया.
दिल्ली दंगों पर आधिकारिक रूप से प्रतिक्रिया देने वाला ईरान चौथा मुस्लिम-बहुल देश बन गया है. इससे पहले इंडोनेशिया, तुर्की और पाकिस्तान पिछले हफ्ते दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में हुई हिंसा के खिलाफ टिप्पणी कर चुके हैं.
दिल्ली दंगा पर अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों संबंधी अमेरिकी आयोग, अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स और कई अन्य प्रमुख अमेरिकी सांसदों के बयानों पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन टिप्पणियों का उद्देश्य मुद्दे का राजनीतिकरण करना है.
भारत के अपने दो दिवसीय दौरे के अंतिम दिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से देश की राजधानी दिल्ली में हिंसा की घटनाओं के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा था कि जहां तक व्यक्तिगत हमलों के बारे में है, मैंने इसके बारे में सुना, लेकिन मैंने मोदी के साथ चर्चा नहीं की. यह भारत को देखना है.
अपनी यात्रा के दौरान राजधानी दिल्ली में हो रही हिंसक घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा करने के सवाल पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ उन्होंने ऐसी कोई चर्चा नहीं की. यह भारत को देखना है.
दक्षिण और मध्य एशिया के मामलों के लिए अमेरिका के विदेश मंत्रालय की राजदूत एलिस वेल्स ने अमेरिकी सदन में कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं, स्वयंभू गो-रक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों पर हमले जैसी घटनाएं भारत द्वारा अल्पसंख्यकों को प्रदत्त कानूनी संरक्षण के अनुरूप नहीं हैं.
मामला झारखंड के गुमला जिले का है. पुलिस ने कहा कि अंधविश्वास के कारण चारों की हत्या हुई है.
मोदी सरकार और उनके समर्थक लगातार मीठा-मीठा गप और कड़वा-कड़वा थू की कहावत को चरितार्थ करते नज़र आ रहे हैं. विचार या निष्कर्ष उनके अनुकूल हुए तो उसके सौ खोट भी सिर माथे और प्रतिकूल हुए तो ईमानदार विश्लेषण भी टके सेर.
अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने बीते 21 जून को जारी किए गए रिपोर्ट में कहा था कि भारत में 2018 में गायों के व्यापार या गोवध की अफवाह पर अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर, मुसलमानों के खिलाफ चरमंपथी हिंदू समूहों ने हिंसा की है.