भीमा कोरेगांव हिंसा के पीछे बताए जा रहे कथित नक्सल कनेक्शन के चलते ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) क़ानून के तहत गिरफ़्तार किए गए पांचों लोगों के प्रति पुलिस और प्रशासन का यह रवैया नया नहीं है.
पत्थलगड़ी आंदोलन के रूप में जनता द्वारा अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रभावी इस्तेमाल ने कई ऐसे सवाल उठाए हैं, जिनका जवाब देना सरकारों के लिए मुश्किल हो गया है.
सीआरपीएफ बस्तर जिले में नक्सलियों के खिलाफ आम आदिवासियों की एक बटालियन तैनात करने जा रही है. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि ब्रिगेड में स्थानीय युवाओं को शामिल करने से सूचना-तंत्र मजबूत होगा और नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में वे काफी कारगर साबित होंगे.