अदालत ने कहा कि दाभोलकर और पानसरे के बाद अन्य लोगों को निशाना बनाने के लिए उनके नामों की सूची मीडिया में फैलाई जा रही है. उदारवादियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को डर है कि अगर वे अपने विचार सार्वजनिक रूप से व्यक्त करते हैं तो उन्हें निशाना बनाया जा सकता है.